FIR में लिखा गया है ऐसा
धोनी पर जांच करने के लिए जिस शिकायतर्का ने एफआईआर करवाई है उसका नाम रूपेश कुमार सिंह है। रूपेश ने सोमवार को कहा, हां, मैंने आम्रपाली द्वारा किए गए इस घोटाले में एफआईआर दर्ज कराई है, जिसकी जांच जारी है।" रूपेश ने एफआईआर में यह भी लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात को साफ कर दिया है कि आरोपियों ने इन प्रोजेक्ट्स को लांच ही, अनजान लोगों को गुमराह करके ठगने के लिए किया था। जैसा कि उन्हीं सब में से एक मैं खुद भी हूं। एफआईआर में लिखा गया है कि इस गोरखधंधे में आम्रपाली ग्रुप ने करीब 2 हजार 647 करोड़ रुपए अपने विभिन्न प्रोजेक्ट्स के लिए ठगे गए। इसके बाद इतनी भारी-भरकम रकम को इधर-उधर लगा दिया, जबकि प्रोजेक्ट आज तक अधूरे पड़े हैं।
आम्रपाली ने अपनाया अवैध रास्ता
आम्रपाली ग्रुप 2010 तक देश के उत्तरी क्षेत्र में सबसे बड़े रियल एस्टेट समूह में से एक के रूप में उभरा था। लेकिन, हजारों खरीदारों द्वारा उनसे फ्लैट न मिलने की शिकायत दर्ज कराने के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट के दायरे में लाया गया। 23 जुलाई को, सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया जिसके अनुसार राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (NBCC) को सभी अपूर्ण परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कहा गया था। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि आम्रपाली ने एक अवैध रास्ता अपना लिया और होमबॉयर्स के पैसे अलग-अलग फर्मों को दे दिए, जिनमें साक्षी धोनी भी शामिल है। सुनवाई के दौरान, उन्होंने धोखाधड़ी और धोखाधड़ी के आरोप में अनिल के शर्मा (सीएमडी) और अन्य निदेशकों को जेल भेज दिया।
खरीदारों ने घोटाले में धोनी की भूमिका बताई
आउटलुक एक्सप्रेस के अनुसार, दायर की गई नवीनतम एफआईआर में, खरीदार ने आरोप लगाया है कि एमएस धोनी आम्रपाली के ब्रांड एंबेसडर थे। वह देश के बड़े सितारे हैं जिनको देखकर ही हम आम्रपाली ग्रुप पर भरोसा कर सके। यह लालच था। ऐसे में धोनी की भूमिका पर भी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा, वह आरोपी व्यक्तियों द्वारा रची गई आपराधिक साजिश का हिस्सा हैं। इसलिए, उन्हें उक्त प्राथमिकी में एक आरोपी के रूप में जोड़ा जाना चाहिए। शिकायतकर्ता के मुताबिक, आम्रपाली के मालिक अनिल के शर्मा और दूसरे डायरेक्टर इस मामले में आरोपी हैं लेकिन जांच टीमों को इस मामले में धोनी के रोल की भी जांच करनी चाहिए और उन्हें भी इस मामले में आरोपी बनाया जाए।