गांगुली ने पहचाना था धोनी के अंदर का जज्बा
साैरव गांगुली ने अपने करियर के दाैरान भारतीय टीम को काफी कुछ दिया। उन्होंने 2000 में कप्तानी संभाली और 2003 में इंग्लैंड के खिलाफ लाॅर्ड्स में टीम को ऐतिहासिक जीत दिलाई। गांगुली ने मोहम्मद अजहरूद्दीन से कप्तानी के गुर लिए। जब साल 2004 आया तो एंट्री हुई महेंद्र सिंह धोनी की। धोनी को अगर टीम में सही स्टेंड वाला कोई था तो वो गांगुली ही थे। विकेटकीपर के रूप में एंट्री करने वाले धोनी कभी नाैवें नंबर पर खेलने उतरे को भी सातवें। लेकिन शायद दादा ने उनको पहचान लिया था कि वो क्या-क्या कर सकते हैं। भारत ने जब साउथ अफ्रीका में आयोजित 2003 का विश्व कप खेला तो गांगुली ने सेमीफाइनल तक पहुंचाया था। उस समय जीत हासिल ना कर पाने के कारण टीम निराश तो जरूर हुई लेकिन गांगुली ने आगे का सोचना शुरू कर दिया। गांगुली ने तो पहले धोनी को तीसरे नंबर पर खेलने का अवसर दिया। धोनी ने इस अवसरा का फायदा उठाया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। देखते ही देखते धोनी ने सबको इतना प्रभावित किया कि गांगुली के बाद टीम का भविष्य उनमें दिखने लगा, लेकिन धोनी का रहा आसान करने में गांगुली ने कोई कसर नहीं छोडी। गांगुली ने ऐसी टीम तैयार करना शुरू कर दी जो आगे तक धोनी के काम आ जाए। उनकी कप्तानी मे वीरेंद्र सहवाग, गाैतम गंभीर, युवराज सिंह, हरभजन सिंह, जहीर खान, जैसे खिलाड़ी खूब निखरकर आए जो धोनी के लिए 2011 में अपने घर में आयोजित हुए विश्व कप का खिताब दिलाने में कीमती साबित हुए। गांगुली ने अपनी आत्मकथा ‘A Century is Not Enough' में भी लिखा है कि, 'मैं हमेशा एक ऐसे खिलाड़ी की तलाश में था जो दवाब में भी स्थिर रहे और जिसमें मैच का रुख बदलने की क्षमता हो। महेंद्र सिंह धोनी, जो मेरी नजरों में 2004 में आए, नैचुरल तरीके से इस सोच पर फिट बैठते थे। मैं पहले दिन से ही धोनी से प्रभावित था।' वहीं धोनी-गांगुली से जुड़ा एक दिल छू देने वाला किस्सा है जो साबित करता है कि धोनी ने उस समय जो हासिल किया, उसके पीछे गांगुली का बड़ा हाथ है। गांगुली ने जब अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच नंबवर 2008 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला तो धोनी ने उन्हें बीच में कप्तानी साैंपकर उन्हें सम्मान दिया था।
अब कोहली को गुर दे रहे हैं धोनी
धोनी ने अगर बताैर कप्तान नाम कमाया है तो उसके पीछे उनको अच्छे खिलाड़ियों का साथ मिलना भी रहा है। गांगुली की कप्तानी में खेलने वाले सहवाग, गभीर, युवराज, जहीर जैसे ही धोनी के लिए सोने पर सुहागा साबित हुए। धोनी ने आईसीसी की तीनों ट्राॅफी(2007 में टी20 विश्व कप, 2011 में वनडे फाॅर्मेट का विश्व कप, 2013 में चैंपियंस ट्राॅफी) भारत की झोली में डाली। लेकिन अब उनका काम एक कप्तान के रूप में खत्म हो चुका है। बढ़ती उम्र और पीछे लगी कई युवा खिलाड़ियों की लाईन अब उन्हें अधिक समय तक टीम में टिकने की अनुमति नहीं देती। इंग्लैंड में होने जा रहा विश्व कप अब उनका आखिरी विश्व कप भी होगा और हो सकता है इसमें कोई आखिरी मैच भी बन जाए। उनका रिटायरमेंट लेना तय है, लेकिन इसके पहले धोनी वो काम कोहली के लिए पूरा करके जाएंगे जो उनके लिए कभी गांगुली ने किया। यही कारण है कि कई बार आलोचनाएं होने पर भी टीम मैनेजमेंट ने धोनी को टीम में बनाए रखा हुआ है ताकि कोहली के लिए इस विश्व कप से ऐसी टीम निकाली जाए जो 2023 विश्व कप में भारत को खिताब दिला सके। क्रिकेट जगत के कई दिग्गज भी मान चुके हैं कि कोहली को अभी भी धोनी से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। और साफ है कि धोनी की माैजूदगी में ही कोहली कोहली आगे बढ़ रहे हैं। अभी भी मैदान पर जब धोनी होते हैं तो कोहली कप्तान होकर भी अपनी मर्जी से नहीं चलते बल्कि धोनी को फोलो करते हैं। हालांकि ये सब कोहली उनके गुण हासिल करने के लिए करते हैं।
मिशन 2019 नहीं बल्कि 2023 का विश्व कप है
यूं तो भारत विश्व कप 2019 जीतने का भी प्रबल दावेदार है, लेकिन इसके अलावा इन खिलाड़ियों पर 2023 विश्व कप जीतने का भी दामोदार है, जो अपने घर आयोजित होगा। 2023 के लिए ही विराट कोहली एक ऐसी टीम अभी से सेट करना जा रहे हैं जो आगे भी काम आए। तभी तो टीमों में बदलाब जारी हो रहे हैं और धोनी इसके लिए पूरा साथ दे रहे हैं। चाैथे नंबर के लिए अंबाती रायडू को बाहर रखा गया। इसका कारण उनका खराब प्रदर्शन तो रहा वहीं दूसरा उनकी बढ़ती उम्र भी है। रायडू अभी 33 साल के हैं, जब 2023 विश्व कप आएगा तो उनकी उम्र 37 होगी यानि की करियर के आखिरी पड़ाव पर। लेकिन आगे का सोचते हुए टीम में विजय शंकर को जगह दी गई। शंकर का अंतरराष्ट्रीय करियर अभी शुरू हुआ है। अगर वो इंग्लैंड में विश्व कप दाैरान काफी कुछ सीखते हैं तो उसका सीधा फायदा 2023 विश्व कप में मिलेगा। धोनी के संन्यास लेने के बाद कोहली कतई नहीं चाहेंगे कि अपने घर में होने वाले विश्व कप दाैरान उन्हें टीम सेट करने के लिए हर बार की तरह खिलाड़ियों को अंदर बाहर करना पड़े और आलोचनाओं का शिकर होने पड़े। इसके लिए धोनी भारतीय टीम के भविष्य के लिए जरूर सोच रहे हैं। काैन सा खिलाड़ी किस समय अर्श से फर्श तक आ जाएगा, पता नहीं। लिहाजा जसप्रीत बुमराह, भुवनेश्वर कुमार, मोहम्मद शमी जैसे खतरनाक गेंदबाजों के बावजूद टीमें खलील अहमद, सरफराज अहमद को लगातार माैके दिए जा रहे हैं। धोनी को इन दो गेंदबाजों में वो चीज दिखती है जो आगामी समय टीम के लिए फायदेमंद साबित होगी।
पंत हैं सबसे बड़ी उम्मीद
धोनी के संन्यास लेने के बाद ऋषभ पंत पर ही वो सारी जिम्मेदारी आएगी जो धोनी के कंधों पर होती हैं। धोनी बताैर विकेटकीपर बहुत नाम कमा चुके हैं, उनकी चीते सी फुर्ती से हर कोई अच्छे से वाकिफ है। लाजमी है कि पंत से भी सभी को ऐसी उम्मीदें है, जिस तरह पंत को उठाया जा रहा है उसे देख ऐसा लगता है कि अगले मैच फिनिश्र और विकेटकीपर वहीं होंगे। अगर वो अपना प्रदर्शन लगातार अच्छा रखते हैं तो तय है कि दुनिया उन्हें विश्व कप 2023 में जरूर दिखेगी। वहीं टीम मैनेजमेंट की नजरें भी इनपर गढ़ चुकी हैं। हालांकि 33 साल के दिनेश कार्तिक भी हैं लेकिन देखना यह बाकी है कि क्या वो भी आगे तक जाएंगे या नहीं। पंत को इस बार विश्व कप के लिए नहीं चुना गया तो सभी हैरान रह गए, लेकिन टीम मैनेजमेंट ने कार्तिक को इसलिए पहल दी क्योंकि विदेशी पिचों पर एक अनुभवी खिलाड़ी की जरूरत थी जबकि पंत को इंग्लैंड में खेलने का अनुभव नहीं है। अगर धोनी के साथ इस बार विश्व कप में कार्तिक दिखे तो अगले विश्व कप में कार्तिक के साथ-साथ पंत भी बताैर विकेटकीपर टीम का हिस्सा रहने वाले हैं।
ये 7 खिलाड़ी तो होंगे पक्के
क्रिकेट फैन्स के मन में एक सवाल तो जरुर आ रहा होगा कि आखिर 2023 विश्वकप के लिए भारतीय टीम कैसी होगी, कौन-सा खिलाड़ी टीम के अंदर होगा और कौन टीम से बाहर। तो इसके लिए अभी खेल रहे 7 खिलाड़ी पक्के हैं, जिनके नाम हैं- कोहली, रोहित, धवन, हार्दिक पांड्या, जसप्रीत बुमराह, भुवनेश्वर कुमार व कुलदीप यादव। ये सात ऐसे खिलाड़ी हैं जो लंबी रेस के घोड़ साबित होकर 2023 विश्व कप टीम का हिस्सा साै प्रतिशत बन सकते हैं, लेकिन बारी है और कुछ खिलाड़ियों की जिन्हें तराशने के लिए धोनी ने कोहली की पूरी मदद की। पहले पंत सामने आए इसके बाद आलराउंडर के रूप में विजय शंकर छाए और तेज गेंदबाजों के रूप में खलील अहमद व सरफराज अहमद ने दावेदारी पेश की है। कोहली जब अपने घर में होने जा रहे विश्व कप के लिए टीम बनाएंगे तो उन्हें खिलाड़ियों की पहचान करना मुश्किल नहीं रहेगा क्योंकि धोनी उन्हें हर तिकड़म बता रहे हैं जिसे लगाकर कोहली की राह आसान होगी। धोनी ने जब कप्तानी संभाली थी तो उनके खेल में फर्क दिखा। वो खुद मध्यक्रम में आकर संभलते हुए खेलने लगे लेकिन कोहली को नंबर 3 की ही जिम्मेदारी होगी जिन्हें साथ-साथ में कप्तानी का बोझ भी झेलना पड़ेगा। ऐसे में कोहली के पास 30 मई से इंग्लैंड एंड वेल्स में शुरू होने जा रहे इस बड़े इवेंट में धोनी की माैजूदगी में काफी चीजें सीखने को मिलेंगी। देखना यह बाकी है कि यहां का अनुभव लेकर कोहली भारत को 2023 विश्व कप जीताएंगे या नहीं।