नई दिल्ली। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच तीसरा वनडे मैच धोनी के 'घर' रांची में है। जिस शहर में धोनी ने क्रिकेट का ककहरा सीखा और सबको अपने बेजोड़ प्रदर्शन से मुरीद बनाया, अब उसी रांची में वे शायद अपना अंतिम मैच खेलेंगे। ऐसे में इस मैच को लेकर खेल प्रेमियों के साथ धोनी फैंस में भी उत्साह चरह पर है। इसी बीच धोनी से सीधे तौर पर जुड़ा कोई भी शख्य यह यकीन नहीं कर पा रहा है कि रांची का ये सपूत अब अपने घरेलू मैदान पर फिर से खेलता हुआ दिखाई नहीं देगा।
इनमें चाहे धोनी के स्कूल में क्रिकेट प्रशिक्षक केआर बनर्जी हों या धोनी के शुरुआती दिनों के मार्गदर्शक चंचल भट्टाचार्य या फिर धोनी के क्रिकेट प्रशिक्षक जय कुमार सिन्हा, ये सभी रांची में धोनी के करीबी लोग हैं। धोनी को बचपन से जानने वाले भट्टाचार्य कहते हैं कि जब धोनी को खुद लगने लगेगा कि वह क्रिकेट में अपना शत-प्रतिशत नहीं दे पा रहे हैं और खेल का लुप्त नहीं उठा पा रहे हैं तो वह खुद ही संन्यास जैसा कोई फैसला ले लेंगे। यहीं नहीं, सीसीएल टीम में धोनी को पहली बार शामिल कराने वाले देवल सहाय का यह मानना है कि अभी यह कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी कि धोनी का रांची में यह अंतिम मैच होगा। जबकि सीसीएल टीम के तत्कालीन कप्तान आदिल हुसैन ने कहा है कि अभी धोनी को करीब दो साल और खेलना चाहिए।
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इसी बीच सरल व्यक्तित्व के धनी धोनी ने एक बार फिर से अपनी सादगी का परिचय दिया है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे वनडे मैच से पूर्व जेएससीए स्टेडियम में अपने नाम पर रखे गए पवेलियन का उद्घाटन करने से विनम्रता से इंकार कर दिया है। आपको बता दें कि झारखंड राज्य क्रिकेट संघ ( जेएससीए) में अब महेंद्र सिंह धोनी पवेलियन होगा। यह ठीक इसी तर्ज पर होगा जिस तरह से वानखेड़े स्टेडियम में सुनील गावस्कर स्टैंड और दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में वीरेंद्र सहवाग गेट है। जेएससीए के सचिव ने इस बारे मे जानकारी देते हुए कहा कि हमने पिछले साल ही नार्थ ब्लॉक का नाम धोनी के नाम पर करने का फैसला किया था।
उन्होंने आगे बताया- 'धोनी इसका उद्घाटन करने के लिए तैयार नहीं हुए। हमने काफी आग्रह तो वे बोले कि अपने ही घर में क्या उद्घाटन करना। वह अब भी पहले की तरह विनम्र हैं।' यह लगभग तय माना जा रहा है कि धोनी का ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने गृहनगर में अंतिम मैच है लेकिन फिलहाल स्टेडियम के अधिकारियों ने इसके लिए कोई विशेष योजना नहीं बनाई है।