क्या था वो निशान
विकेटकीपिंग कर रहे धोनी के ग्लव्स में एक निशान बना हुआ दिखाई दिया जिसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर भी वायरल हुई। जिसके बाद ये निशान चर्चा का विषय बन गया क्योंकि क्रिकेट इतिहास में किसी विकेटकीपर के ग्लव्स में ऐसा निशान बना हुआ नहीं दिखाई दिया है। दरअसल, धोनी ने विश्व कप के पहले मैच में भारतीय सेना को अद्भुत सम्मान दिया। उनके ग्लव्स पर अनोखा निशान देखने को मिला, जिसे हर कोई इस्तेमाल में नहीं ला सकता। ग्लव्स पर पैरा कमाडों को दिए जाने वाले बैज का निशान था। यह बैज पैरा-कमांडो लगाते हैं। इस बैज को 'बलिदान बैज' के नाम से भी जाना जाता है।
|
क्या है बलिदान बैज?
इस बैज में 'बलिदान' शब्द को देवनागरी लिपि में लिखा गया है। यह बैज चांदी की धातु से बना होता है, जिसमें ऊपर की तरफ लाल प्लास्टिक का आयत होता है। यह बैज केवल पैरा-कमांडो द्वारा पहना जाता है। भारतीय सेना की एक स्पेशल फोर्सेज की टीम होती है जो आतंकियों से लड़ने और आतंकियों के इलाके में घुसकर उन्हें मारने में दक्ष होती है। मुश्किल ट्रेनिंग और पैराशूट से कूदकर दुश्मन के इलाके में घुसकर दुश्मन को मारने में महारत हासिल करने वाले इन सैनिकों को पैरा कमांडो कहा जाता है।
वर्ल्ड कप 2019 : रोहित शर्मा ने पहले मैच में जड़ा शतक, तोड़ा सौरव गांगुली का 16 साल पुराना रिकाॅर्ड
धोनी ने कैसे किया इसे हासिल?
धोनी को 2011 में टेरीटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि से नवाजा गया था। उसके बाद साल 2015 में धोनी ने पैरा फोर्सेज के साथ बुनियादी ट्रेनिंग और फिर पैराशूट से कूदने की स्पेशल ट्रेनिंग भी पूरी की जिसके बाद धोनी को पैरा रेजिमेंट में शामिल किया गया और उन्हें ये बैज लगाने की अनुमति दी गई। आगरा के पैराट्रूपर्स ट्रेनिंग स्कूल (पीटीएस) में भारतीय वायु सेना के एएन-32 विमान से पांचवीं छलांग पूरी की थी। तब धोनी 1,250 फीट की ऊंचाई से कूद गए थे और एक मिनट से भी कम समय में मालपुरा ड्रॉपिंग जोन के पास सफलतापूर्वक उतरे थे।