नई दिल्ली। आईपीएल 11 के फाइनल में सनराइजर्स हैदराबाद को हराकर अपना तीसरा खिताब जीतने वाली चेन्नई सुपरकिंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी एक बार फिर से चर्चा में हैं। दरअसल धोनी पूरे आईपीएल के दौरान बेहद ही दिमाग लगाकर अपनी तैयारियां करते नजर आए। कहा जाता है कि जो क्रिकेटिंग दिमाग धोनी के पास है वो शायद की किसी क्रिकेटर के पास हो। इसका ताजा उदाहरण फाइनल मैच से मिलता है।
गौरतलब है कि आईपीएल के फाइनल मुकाबले में 117 रन की नाबाद पारी खेलकर अपनी टीम चेन्नई सुपर किंग्स को खिताब जिताने वाले वॉटसन के बारे में अब सभी यह जानते हैं कि वह इस पारी के दौरान हैम्स्ट्रिंग इंजरी से जूझ रहे थे। फिटनेस के प्रति कड़ा रुख रखने वाले धोनी पिछले कुछ मैचों से वॉटसन को चोटिल होने के बावजूद CSK की टीम में खिला रहे थे। धोनी को हर मैच के दौरान इस बात का पूरा ख्याल था कि चोटिल वॉटसन को फील्डिंग में अधिक मशक्कत न करनी पड़े, तो उनका इस्तेमाल किस पोजिशन पर किया जाए।
आपको बता दें कि धोनी को पता था कि वॉटसन चोटिल थे। इसलिए उन्होंने प्लेऑफ मैच से पहले उन्हें आराम भी दिया था। दरअसल धोनी ये समझते थे कि वॉटसन का अनुभव फाइनल में उनके लिए काम आएगा। इसी रणनीति के तहत धोनी ने अपना पूरा गेम सेट किया। धोनी जानते थे कि वॉटसन की हैम्स्ट्रिंग चोट बोलिंग के लिहाज से गंभीर है, लेकिन बैटिंग करने में उन्हें इससे कोई खास परेशानी नहीं होगी।
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए चेन्नई के सीईओ काशी विश्वनाथ ने बताया कि वॉटसन लीग स्टेज के अंतिम चरण के दौरान चोटिल हो गए थे। लेकिन यह कोई खास गंभीर चोट नहीं थी, लेकिन यह सच है कि वह 100% फिट नहीं थे। ऐसे में टीम मैनेजमेंट ने उनकी फिटनेस को ध्यान में रखकर उन्हें आरामदायक पोजिशन में रखने का फैसला किया।
गौरतलब है कि फाइनल से पहले के कई मैचों में शेन वॉटसन ने गेंदबाजी नहीं की थी। तब लोगों को लगा कि शायद उनकी ज्यादा धुनाई हो रही है इसलिए वे गेंदबाजी नहीं कर रहे हैं लेकिन ये सब धोनी की रणनीति का नतीजा था कि उन्होंने वॉटसन से गेंदबाजी न कराकर केवल बल्लेबाजी पर फोकस रहने के लिए कहा। और नतीजा निकला कि वॉटसन अकेले चेन्नई को चैंपियन बनाने वाले बल्लेबाज साबित हुए।