मुंबई: बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली की अध्यक्षता में पहली सालाना आम बैठक यानी एजीएम पूरी हो गई है। इस बैठक में कूलिंग ऑफ पीरियड जैसे कुछ प्रशासनिक सुधारों का स्वरुप हल्का किया गया है। लेकिन अंतिम गेंद सुप्रीम कोर्ट के पाले में होगी जो बीसीसीआई के किसी भी संविधान संसोधन को आखिरी झंडी देने वाली संस्था है।
इस बैठक के बाद बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने क्रिकेट में व्याप्त भ्रष्टाचार पर बात की है। दादा ने कहा है कि हमको एंटी करप्शन सिस्टम मजबूत करना होगा। किसी खिलाड़ी कि संलिप्तता के चलते किसी प्रतियोगिता को बंद करना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि केपीएल (कर्नाटक प्रीमियर लीग) फिलहाल के लिए होल्ड पर है। लेकिन अगर भ्रष्टचार नहीं रुका तो हमको कुछ करना होगा।
वहीं, इस बैठक के साथ ही चयन समिति के अध्यक्ष के रूप में एमएसके प्रसाद के शानदार कार्यकाल का रविवार को अंत हो गया जिसमें वार्षिक आम बैठक के बाद पुष्टि की गई। प्रसाद के जाने का मतलब है कि गांगुली की अगुवाई वाली बीसीसीआई पुराने संविधान का पालन कर रही है जिसमें चयन समिति के लिए अधिकतम चार साल का प्रावधान है। जबकि संशोधित संविधान में अधिकतम पाँच वर्ष थे।
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प्रसाद और गगन खोड़ा को 2015 में नियुक्त किया गया था, जबकि जतिन परांजपे, सरनदीप सिंह और देवांग गांधी 2016 में शामिल हुए थे, लेकिन बीसीसीआई प्रमुख के अनुसार, पैनल के सदस्यों में से कोई भी आगे जारी नहीं रहेगा।
गांगुली ने बताया, "कार्यकाल समाप्त हो गया है। आप अपने कार्यकाल से आगे नहीं जा सकते। उन्होंने अच्छा काम किया है। हम चयनकर्ताओं के लिए नियम-शर्तें तय करेंगे और हर साल चयनकर्ताओं को नियुक्त करना सही नहीं है।"
बता दें कि पांच सदस्यीय पैनल के कार्यकाल के दौरान भारतीय टीम को सफलता मिली और कुछ नकारात्मकता भी रही, लेकिन यह सफलता की तुलना में बहुत छोटी साबित हुई। हालांकि यह चयन समिति अच्छे रिजल्ट देने के बावजूद अक्सर अपने सीमित अंतरराष्ट्रीय करियर के कारण सामूहिक रूप से लगातार आलोचना का शिकार होती रही।