नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट टीम की चयनसमिति उस समय निशाने पर आने लगी जब विंडिज दाैरे के लिए बिना किसी मीटिंग के खिलाड़ियों के नामों का ऐलान किया गया। चयनसमिति पर दूरदर्शी नहीं होने के आरोप लगे, लेकिन इस पैनल के अध्यक्ष एमएसके प्रसाद का मानना है कि अगर ऐसा होता तो ऋषभ पंत कैसे इतने कम समय में टेस्ट टीम में जगह बना पाते, क्योंकि किसी ने नहीं सोचा था कि उन्हें लंबी अवधि के प्रारुप में जगह मिल पाएगी।
प्रसाद ने कहा, अगर समिति में दूरदर्शिता की कमी होती तो फिर जिस जसप्रीत बुमराह को केवल सीमित ओवरों का क्रिकेटर माना जाता था वह कैसे टेस्ट क्रिकेट में आ पाता। उन्होंने कहा, 'यदि हम दूरदर्शी नहीं थे तो फिर हार्दिक पांड्या कैसे सभी प्रारुपों में ऑलराउंडर की भूमिका बखूबी निभाता, जबकि पहले उन्हें भी केवल टी20 खिलाड़ी माना गया था।' चयनसमिति के अध्यक्ष ने इस संबंध में कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल का भी उदाहरण दिया जिन्हें रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा जैसे स्थापित स्पिनरों की मौजूदगी के बावजूद सीमित ओवरों की टीम में रखा गया।
प्रसाद से पूछा गया कि क्या धौनी को टीम में रखने के लिये मध्यक्रम के संतुलन से समझौता किया गया, उन्होंने कहा, अगर शुरू में विकेट गंवाने के बाद हम विश्व कप सेमीफाइनल (न्यूजीलैंड के खिलाफ) जीत जाते तो फिर जडेजा और धौनी की पारियों को सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक गिना जाता। उन्होंने कहा, मैं स्पष्ट तौर पर कह सकता हूं कि आज तक धौनी सीमित ओवरों में भारत का सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर और फिनिशर है। विश्व कप में विकेटकीपर और बल्लेबाज के रूप में धौनी टीम के लिये बड़ी ताकत थे।
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चयनसमिति के अध्यक्ष ने इस संबंध में कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल का भी उदाहरण दिया, जिन्हें रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा जैसे स्थापित स्पिनरों की मौजूदगी के बावजूद सीमित ओवरों की टीम में रखा गया। प्रसाद ने कहा, इसी समिति ने कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल को आगे बढ़ाया, जबकि सीमित ओवरों की टीम में हमारे पास अन्य स्थापित स्पिनर थे।