नयी दिल्ली। भारतीय क्रिकेट में मुरली विजय एक ऐसा नाम है जो आज भी फटाफट अंदाज की क्रिकेट से दूर परंपरागत टेस्ट ओपनर की तरह से बल्लेबाजी करना पसंद करता है। विजय अमूमन रक्षात्मक तकनीक पर भरोसा दिखाते हैं और गेंद पुरानी होने के बाद अपनी बल्लेबाजी के रंग जमाना शूरू करते हैं। हालांकि इंग्लैंड में खेली गई टेस्ट सीरीज में खराब प्रदर्शन के बाद वे टीम से बाहर किए गए थे लेकिन उसके बाद काउंटी में किए गए दमदार प्रदर्शन का उनको इनाम मिला है।
तकनीक में नहीं किया कोई बदलाव
विजय को यह इनाम ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए फिर से भारतीय टेस्ट टीम में जगह देने के तौर पर दिया गया है। टीम में हुई वापसी पर मुरली विजय का कहना है कि उन्होंने टेस्ट टीम में वापसी के लिए नहीं बल्कि अपनी बल्लेबाजी को जारी रखने के लिए काउंटी क्रिकेट खेला था। इसके साथ ही मुरली ने यह भी बताया कि काउंटी सीजन के दौरान भी उन्होंने अपनी परंपरागत तकनीक पर ही भरोसा किया और वे सफल रहे।
विजय ने इंग्लैंड दौरे पर पहले दो टेस्ट मैच में 20, 0, 6, 0 रन बनाए थे। इसके बाद उन्हें बाकी तीन मैचों से बाहर कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने काउंटी क्रिकेट का रुख किया। विजय ने एसेक्स के लिए खेलते हुए तीन प्रथम श्रेणी मैचों में 56, 100, 85, 80, 02 रन बनाए।
काउंटी क्रिकेट ने बनाया बेहतर बल्लेबाज
34 वर्षीय विजय ने कहा, "मैंने टीम में अपनी वापसी को लेकर काउंटी मैच नहीं खेले। मैं क्रिकेट खेलना जारी रखना चाहता था। मैंने काउंटी में अच्छा प्रदर्शन किया और इसकी वजह से मुझे टीम में वापसी का अतिरिक्त फायदा मिला।"
अपनी तकनीक के बारे में बात करते हुए विजय ने कहा, "मैंने कोई बदलाव नहीं किया। काउंटी क्रिकेट चुनौतीपूर्ण होता है इसलिए मैंने उसका लुत्फ उठाया। मैं एसेक्स का धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे वैसे ही खेलने का पूरा मौका दिया जैसे की मैं खेलना चाहता था। तीन मैंच काफी नजदीकी रहे जिसने मुझे अच्छा प्रदर्शन करने के लिए काफी प्रेरित किया। मैं खुश हूं कि टीम के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे सका और यहां से अच्छा अनुभव हासिल कर सका।"
अॉस्ट्रेलिया में सफलता की पूरी उम्मीद
सलामी बल्लेबाज ने ऑस्ट्रेलिया दौरे को लेकर कहा, "इस बार हम अच्छी रणनीति के साथ खेलेंगे। पहले टेस्ट मैच से पहले हमें एक प्रैक्टिस मैच भी खेलना है। ये हमारे लिए काफी अच्छा रहेगा और मुझे आशा है कि टीम के अन्य खिलाड़ियों के लिए भी ये काफी फायदेमंद रहेगा।"
बता दें कि विजय ने पिछली बार 2014-15 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर चार मैचों में 482 रन बनाए थे। इस बार भी मौका मिलने पर वह भारतीय टीम के लिए जरूरी योगदान देने की स्थिति में हैं। हालांकि विजय के लिए आगे की डगर अब इतनी आसान नहीं होने वाली है क्योंकि भारत में जिस तरह से पृथ्वी शा ने विस्फोटक बल्लेबाजी की थी उससे विपक्षी टीम पर खासा दबाव बन जाता है। देखना यह होगा कि टीम प्रबंधन नवोदित पृथ्वी शा को विजय के अनुभव पर तरजीह देगा या फिर से विजय के ऊपर भरोसा जताएगा।