सहवाग का दृढ़ विश्वास अविश्वसनीय था
गौरव कपूर के साथ पोडकॉस्ट पर चोपड़ा ने कहा, "उसकी ताकत ये है कि वो इस बात को लेकर पूरी तरह ईमानदार है कि वो क्या कर सकता है और क्या नहीं। सारी आक्रामता और वीरू की बल्लेबाजी शैली के बावजूद आपको उसका बाउंसर खेलना याद नहीं होगा। यही अनुशासन है।" उन्होंने कहा, "इससे आपको पता चलता है उस लापरवाह और खुशहाल, गेंद दर गेंद खेलने वाले बाहरी कवच के पीछे क्या है। उसने बाउंसर देखी है और उसने 8,000 टेस्ट रन के दौरान उसे खेलने की कोशिश कभी नहीं की। इसलिए अपने खेल पर इस तरह का अनुशासन, समझ और दृढ़ विश्वास अविश्वसनीय था।"
वो जानता था कैसे आगे बढ़ना है
सहवाग के साथ बल्लेबाजी को याद करते हुए चोपड़ा ने कहा, "वो आपसे कहेगा ‘यार गेंद ज्यादा स्विंग हो रहा है, आज मेरा नहीं चलेगा, तू वहीं रह', देखिए, अपनी ताकत और कमजोरी को समझना कितना अहम है। ये पता होना कि आप क्या कर सकते हैं और उससे भी जरुरी है ये जानना कि आप क्या नहीं कर सकते हैं।"उन्होंने कहा, "उसे पता था कि ‘अभी गेंद स्विंग हो रहा है, फंस जाउंगा। छोड़ ना, अभी 5-7 ओवर निकल जाएंगे तो अच्छा ही है'। उसे पता था कि अगर वो टिका रहा तो वो रन बना सकता है।"
सहवाग से मिली सलाह को किया याद
चोपड़ा ने सहवाग से मिली उस सलाह को भी याद कि जब उन्हें कहा गया कि आप बाहर हो सकते हो। चोपड़ा ने बताया कि कैसे सहवाग उन्हें अक्सर उनकी कमियां बताया करते थे। चोपड़ा ने कहा, "वो मेरे पास आता था और कहा था ‘चोपड़ा जी ये 40-40 रन मार रहे हो, ड्रॉप जाओगे टीम से। सेट होने के बाद आउट होने से कोई खेलता नहीं आगे। और वो अपने बारे में यही बात कहता था।"