बड़ी सेलिब्रिटी...तो आ गए आड़े हाथों
बीसीसीआई ने 51 करोड़ दान दिए। बाॅलीवुड जगत के नामी 'हीरो' अक्षय कुमार ने 25 करोड़ रूपए की बड़ी रकम देकर सरकार की सहायता की। जैसे ही अक्षय कुमार ने राशि सरकार को भेंट की तो सोशल मीडिया पर निशाने में आए कप्तान कोहली। आखिर क्यों? कोहली को लेकर सवाल उठने लगे कि वो क्रिकेट से करोड़ों पैसा कमाने के बावजूद भी सरकार की मदद के लिए आगे नहीं आए। कोहली ने अपनी कमाई का कुछ हिस्सा सरकार को भेंट नहीं किया? व्हाट्सएप, ट्विटर जैसे सोशल प्लेटफाॅर्म पर कोहली को बेरहम कहा जाने लगा, यहां तक कि उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा को भी आड़े हाथों लिया जाने लगा। इसलिए, क्योंकि दोनों ऐसी सेलिब्रिटी हैं जिन्होंने दुनियाभर में नाम कमाया है। ऐसे में लोगों की इनसे उपेक्षाएं और भी बढ़ गईं कि इनकी तरफ से दान बहुत ज्यादा होने वाला है। लेकिन सवाल यह भी है कि क्या अगर कोहली 50 करोड़ भी सहायता के लिए देते तो उनकी प्रशंसा होती। जी नहीं, तब भी उनकी आलोचना करने वाले आगे ही रहते।
आलोचनाओं के कारण रहा 'गुप्त दान'
कोहली की गलती तो यह है कि उन्होंने जनता के बीच दान की गई राशि उजागर नहीं की। लेकिन भला वे करे भी क्यों... दान कर रहे हैं, जिसका फैसला पूरी तरह से उनके निजी विचार और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। खैर छोड़िए इसके पीछे एक और भी कारण है जिस कारण कोहली का दान 'गुप्त दान' रह गया। वो इसका खुलासा नहीं करने वाले, क्योंकि इसके पीछे है उनके प्रति सोशल मीडिया में एक्टिव रहने वाले कुछ लोगों के लिए कुछ ऐसे विचार जो दर्शाने का प्रयास करते हैं कि कोहली घमंडी हैं। ऐसे में आखिर क्यों सोशल मीडिया पर कोहली से यह सवाल किए जा रहे हैं कि उन्होंने कितने दिए। कोहली ने सोमवार ट्वीट करते हुए कहा, ''मैं और अनुष्का प्रधानमंत्री सहायता कोष को अपना सपोर्ट दे रहे हैं। कोरोना वायरस से प्रभावित लोगों को देखकर हमारा दिल टूट गया है। इस योगदान के पीछे हमारा सिर्फ एक ही लक्ष्य है भारत के नागरिकों की सहायता करना। यह योगदान कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में गरीब नागरिकों की मदद करते हुए उनके दर्द को कुछ हद तक कम करने की एक कोशिश है।''
उन्होंने इस ट्वीट से साफ कर दिया कि वो मुश्किल घड़ी में देश के साथ हैं। मदद के लिए भी आगे हैं, लेकिन उन्होंने कितने रूपए की सहायता की, इसका खुलासा बाकी दान सज्जनों की तरह खुद नहीं किया। क्योंकि उनको डर था कि अगर 5-10 करोड़ की राशि होगी तो उन्हें इसलिए ट्रोल किया जाएगा कि वो 800 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं। अगर अब जाकर वो बड़ी रकम दान करते हैं तो आलोचना करने वाले तो यह कहते हुए फिर भी ट्रोल करेंगे कि अब खुद को सबसे महान साबित करने के लिए इतनी ज्यादा रकम दी या फिर सोशल मीडिया पर क्लास लगने के बाद। बड़ी हैरानी भरी बात है। लोगों ने देश में 'कौन बड़ा दानवीर मुकाबला' चला दिया है। इसी का शिकार हो रहे हैं कोहली। कोहली ने रकम का खुलासा नहीं किया तो अब चल रही खबरों के मुताबिक उन्होंने 3 करोड़ रूपए दिए हैं। ऐसे में उन्हें फिर ट्रोल किया जाने लगा कि अगर सहायता कि तो सिर्फ इतने कम पैसों की। हालांकि इस बात पर सही दावा करना उचित नहीं।
निजी जिंदगी भी कोहली के लिए चुनाैती
किसी सेलिब्रिटी के लिए निजी जिंदगी जीना बेहद मुश्किल हो गया है। नाम, दाैलत हासिल करने के बाद उनसे लोगों की उपेक्षाएं 10 गुना बढ़ जाती हैं। लोगों की प्रतिक्रियाओं को देखते हुए साफ दिख रहा है कि जनता ने पैसे देने पर भी कोहली से वही उम्मीद लगाई हुई है जो हर बार उनके द्वारा शतक बनाने की जैसी होती है। पिच पर जनता की अपेक्षाओं को अधिकांश बार पूरा करने वाले विराट पर निजी जिंदगी में भी जनता के हिसाब से जिंदगी जीने का दबाव सा बनता जा रहा है। यही कारण है कि अब उनके लिए स्थिति ऐसी बन गई है कि वो बाकी सेलिब्रिटी की तरह खुलासा नहीं करना चाहते कि सरकार को कितना दान किया है।
धोनी को लेकर भी भड़के थे उनके चहेते
अब, महेंद्र सिंह धोनी की ही बात कर लते हैं जो धनी क्रिकेटरों में से एक हैं। उनको लेकर हाल ही में खबरें चलीं कि उन्होंने बेरोजगार लोगों की मदद के लिए पुणे की एक संस्था को 1 लाख रुपए दान दिए हैं। यह गलत खबर जैसे ही सोशल मीडिया पर फैली तो उनके फैन्स गुस्सा हो गए और आलोचना करते हुए उन्हें कंजूस कहने लगे। धोनी के पूरे करियर की कमाई पर लोगों ने ट्विटर सवाल उठा दिए। पर उनकी पत्नी साक्षी धोनी से यह सब सहन ना हुआ। ऐसे में खुद साक्षी ने ट्वीट करते हुए खबर को अफवाह तो बताया, साथ ही मीडिया पर भी सवाल उठा दिए। साक्षी ने यह तक कह दिया कि जिम्मेदार पत्रकारिता गायब हो गई है... यह शर्म की बात रही, क्योंकि मीडिया का काम सही तथ्य पेश करना है लेकिन कहीं से मिली एक गलत जानकारी आग की तरह फैल जाती है जिससे किसी को ठेस पहुंचना लाजमी है। खैर, यह समय देश के साथ खड़ा होने के लिए है। सरकार की मदद के लिए सबको आगे आना है। फिर चाहे मदद किसी भी प्रकार की हो लेकिन देश में सोशल मीडिया पर फैला गया 'कौन बड़ा दानवीर मुकाबला' खत्म करना होगा ताकि दान करने वाले किसी शख्स को अपनी काबिलियत पर शक ना हो।
नोट- यह लेखक के निजी विचार हैं।