नई दिल्ली: आज से ठीक एक साल पहले भारत के लिए एक बड़ा भावुक दिन था जो उपेक्षित परिणाम ना मिलने के कारण हुए दर्द के लिए याद रहा। इसी दिन यानी 10 जुलाई को भारत का 2019 वर्ल्ड कप में सफर थम गया था और किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि जिस टीम ने ग्रुप स्टेज में ऐसे चैम्पियन सरीखा खेल दिखाया है वह सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के हाथों हार जाएगी।
लेकिन ओल्ड ट्रेफर्ड में हुए इस मुकाबले में 'ब्लैक कैप्स' ने 'मैन इन ब्लू' को 18 रनों से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया। यह महेंद्र सिंह धोनी का वो अंतिम अंतरराष्ट्रीय मुकाबला भी था जिसमें उनको आखिरी बार नीली जर्सी में देखा गया।
न्यूजीलैंड ने पहले बैटिंग करते हुए भारत को 240 रनों का ही टारगेट दिया था लेकिन रोहित, कोहली और राहुल के रूप में टॉप ऑर्डर धराशाई हो गया। तीनों ने 1-1 रन बनाए। कार्तिक की खराब फॉर्म इस महत्वपूर्ण गेम में भी जारी रही।
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पंत और पांड्या ने कुछ प्रयास करने की कोशिश की और दोनों ने 32-32 रनों का योगदान दिया लेकिन 92 का स्कोर बनते-बनते ये दोनों युवा भी पवेलियन लौट चुके थे। भारत निश्चित हार की ओर बढ़ने लगा था कि धोनी और जडेजा ने एक आखिरी उम्मीद जगाने वाली साझेदारी को अंजाम दे दिया। जडेजा ने जिस तरह से प्रैशर में 77 रनों का योगदान दिया वह लंबे समय तक याद रखा जाएगा। वे विपक्षी कप्तान विलियमसन को लॉन्ग ऑफ पर कैच देकर जब गए तब सबकी आंखे एक ही शख्स पर टिकी हुई थी और वह थे- महेंद्र सिंह धोनी।
लेकिन जैसे ही धोनी ने फिफ्टी पूरी की उनको मार्टिन गुप्टिल द्वारा शानदार ढंग से रन आउट कर दिया गया। उसके बाद केवल औपचारिकताएं बाकी थी और भारत 18 रनों से हारकर आंखों में आंसू लिए विश्व कप से विदा हो गया।
यह मुकाबला 9 जुलाई को खेला गया था लेकिन इसका समापन 10 जुलाई को हुआ। आज भी भारतीय क्रिकेटरों और प्रशंसकों को यह हार खलती है। केएल राहुल जैसे कई खिलाड़ियों को यह हार लंबे समय तक सपने में आकर तंग कर रही।