अफरीदी ने जमा कर ली भीड़
वायरल हुए अफरीदी के वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे उन्होंने भारत के खिलाफ बयानबाजी करने के लिए सैंकड़ों में भीड़ जमा कर ली। हालांकि कोरोना से लड़ने के लिए WHO भी यह राय दे चुका है कि इसके लिए सोशल डिसटेंस बनाए रखना जरूरी है। लेकिन अफरीदी ने तो भीड़ जमा कर ली। यही नहीं, उन्होंने खुद मास्क नहीं पहचना हुआ था। हालांकि उनके साथ खड़े गिने-चुने सुरक्षाकर्मियों ने मुंह ढका हुआ है, पर अफरीदी बिना सोशल डिसटेंस बनाए भारत के खिलाफ बेतुक्का बयानबाजी जारी रखते हैं। वहां माैजूद लोग भी इससे नासमझ दिखे कि इस समय बने हालात में कैसे रहना है। अफरीदी जनता को सोशल डिसडेंस बनाए रखने की बजाय उन्हें भारत के खिलाफ भड़काने का काम किए जा रहे हैं। ऐसा प्रतीक हो रहा है कि पाकिस्तान अभी भी चैन की नींद सो रहा है। लोगों से जमा भीड़ से सरकार को कोई लेना देना नहीं और ना ही खुद वहां के लोगों को।
बड़े अधिकारी निकले लापरवाह
बता दें कि पाकिस्तान में कोरोना वायरस अब तक 42 हजार से ज्यादा लोग शिकार हुए हैं, जबकि 903 लोगों की जान जा चुकी है। महामारी से लड़ने के बजाय पाकिस्तान को भारत से उलजने की पड़ी है। पहले उन्होंने भारत के साथ कोरोना के बीच सीरीज खेलने की मांग की जिसने सबको चाैंका दिया। अब अफरीदी का इस बीच पीएम मोदी पर बरसना और कश्मीर अलाप पाकिस्तान की नाकामी दर्शा रहा है। खबर ये भी आई है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री आवास के चार कर्मचारियों की कोरोना वायरस जांच की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। प्रधानमंत्री आवास में इमरान खान का लोगों से मिलना-जुलना लगा रहता है। इसे साफ है कि पाकिस्तान के बड़े अधिकारी लापरवाही बरतने में लगे हुए हैं।
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क्या कहा शाहिद अफरीदी ने?
अफरीदी वायरल हुए वीडियो में कश्मीर और पीएम मोदी के खिलाफ बोलते दिख। वीडियो में अफरीदी कहते नजर आ रहे हैं, 'मैं आपसे मिलकर बेहद खुश हूं, लेकिन बहुत बड़ी बीमारी पूरी दुनिया में फैली हुई है, लेकिन इससे भी बड़ी बीमारी मोदी के दिलो-दिमाग में है और वह बीमारी मजहब की बीमारी है। मजहब को लेकर वह सियासत कर रहे हैं और हमारे हमारे कश्मीरी भाई-बहनों और बुजुर्गों के साथ जुल्म कर रहे हैं। उन्हें जवाब देना होगा। वैसे तो मोदी बहुत दिलेर बनने की कोशिश करते हैं, लेकिन हैं डरपोक आदमी। इतने छोटे से कश्मीर के लिए उन्होंने 7 लाख की फौज जमा की है जबकि पाकिस्तान की कुल फौज 7 लाख की है, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि उनके पीछे 22-23 करोड़ की फौज खड़ी है। यूनाइटेड नेशंस के बनने का मकसद का भी समझ नहीं आता।'