नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के प्रतिनिधत्व करने को लेकर बीसीसीआई के सामने नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। मद्रास उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें बीसीसीआई के अधिकारियों के खिलाफ कथित तौर पर सरकार से बिना किसी आधिकारिक अनुमति के बिना ही देश का प्रतिनिधित्व करने को लेकर कानूनी कार्रवाई शुरू करने के निर्देश देने की मांग की गई है।
न्यायमूर्ति एम सत्यनारायणन और न्यायमूर्ति पी राजामणिचकम ने इस मामले में सुनवाई करते हुए बीसीसीआई और संबंधित अन्य पक्षों को नोटिस जारी करके मामले की अगली सुनवाई सात फरवरी, 2019 को तय की है।दिल्ली की आम महिला गीता रानी ने इस मुद्दो को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गीता का कहना है कि सरकार और वैधानिक आदेश के बिना बीसीसीआई देश में क्रिकेट के खेल को चला रही है।
याचिका में कहा गया है कि बीसीसीआई के पास इस बात का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है कि वह खुद के नाम में ''भारत'' शब्द का प्रयोग करे और न ही उसके पास यह अधिकार है कि वह एक ''भारत'' नाम की टीम का प्रतिनिधित्व करे।
गीता के काउंसल रीपक कंसल का कहना है कि बीसीसाई लगाता खुद को पब्लिक अथॉरिटी मानने से इनकार करती आई है और ना ही बीसीसीआई राष्ट्रीय खेल संघ के तौर पर जाना जाता है।
कंसल का कहना है कि बीसीसीआई ने अपने लोगो में भी ब्रिटिश राज के दौरान इस्तेमाल किए स्तंभ में शामिल आकृति का इस्तेमाल किया है। इसके बावजूद भी वह खुद को सरकारी संस्थान नहीं मानता है।