नई दिल्लीः भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली इंडियन क्रिकेट इतिहास में एक महान लीडर के तौर पर देखे जाते हैं। जब भारत ने 2011 का वर्ल्ड कप जीता तब तक दादा रिटायर हो चुके थे लेकिन पूर्व स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने 2011 की उस जीत में सौरव गांगुली को क्रेडिट दिया है। 2008 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले सौरव गांगुली को यह क्रेडिट क्यों दिया गया है इसके बारे में प्रज्ञान ओझा ने बात की है।
ओझा ने स्पोर्ट्स टुडे से बात करते हुए कहा की, एक इंसान ऐसा था जिसने रिटायरमेंट के बाद भी योगदान दिया है और मैं मानता हूं कि वह व्यक्ति सौरभ गांगुली थे। अगर आप देखते हैं तो कम से कम पांच छह लोग उस टीम में ऐसे थे जो सौरव गांगुली ने ही बनाए थे। इसी वजह से मैं हमेशा कहता हूं कि प्रोसेस में यकीन कीजिए और मैं भी प्रोसेस में यकीन करता हूं।
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यहां आपको बता दें कि 2011 विश्व कप की टीम में कई ऐसे सदस्य थे जिन्होंने 2000 से 2005 के बीच में अपना डेब्यू किया था। इन खिलाड़ियों में वीरेंद्र सहवाग, जहीर खान, युवराज सिंह, आशीष नेहरा और खुद धोनी भी शामिल थे। उस समय सौरव गांगुली टीम के कप्तान हुआ करते थे और यह कहने वाली बात नहीं है कि उपरोक्त दिग्गजों के बिना भारत वह विश्वकप नहीं जीत सकता था।
प्रज्ञान ओझा इस बात को मानते हैं कि महेंद्र सिंह धोनी द्वारा लगाया गया वह अंतिम छक्का हमेशा याद किया जाएगा लेकिन सभी खिलाड़ियों ने बहुत जबरदस्त योगदान दिया था। चाहे वह जहीर खान हो जिन्होंने बीच के ओवरों में महत्वपूर्ण साझेदारीयां तोड़ी या फिर कोई और खिलाड़ी हो, सभी ने बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया।
प्रज्ञान ओझा कहते हैं कि, हमारे पास मुनाफ पटेल भी थे, सुरेश रैना भी थे, यूसुफ पठान भी थे सचिन पाजी भी थे, वीरू पा थे, गौतम भाई भी थे और युवराज सिंह जैसे दिग्गज को तो कोई भूल ही नहीं सकता जिनको टूर्नामेंट में मैन ऑफ द सीरीज दिया गया था। तो कुल मिलाकर यह एक सामूहिक प्रयास था।