नई दिल्ली। भारतीय टीम के स्टार गेंदबाज रहे प्रवीण कुमार ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया है।13 साल के अपने करियर में प्रवीण कुमार ने खासा नाम कमाया।प्रवीणकुमार 6 साल से टीम से बाहर चल रहे थे।प्रवीण कुमार ने अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच 2012 में खेला था। हालांकि टेस्ट टीम से वह एक साल पहले ही टीम से बाहर हो गए थे। प्रवीण बतौर टेस्ट गेंदबाज ज्याद नाम नहीं कमा पाए। जून में वेस्टइंडीज के खिलाफ डेब्यू टेस्ट खेलने वाले प्रवीण इंग्लैंड के खिलाफ अगस्त में खेली गई सीरीज तक ही टेस्ट टीम में रह पाए। उसके बाद चोट के चलते वह टीम से बाहर हुए और फिर अपनी जगह नहीं बना पाए।
कोच बनना चाहते हैं:
संन्यास के बाद करियर को लेकर किए गए सवाल पर प्रवीण ने कहा कि मैं गेंदबाजी का कोच बनना चाहता हूं। लोग जानते हैं कि मैं इस चीज का जानकार हूं। मुझे लगता है कि मैं इसमें दिल से काम करूंगा और बाकी नए युवाओं से अपना अनुभव साझा करूंगा।'
रणजी से किया था प्रभावित:
रणजी ट्रॉफी में उत्तर प्रदेश की तरफ से साल 2005-06 मेंउन्होंने 41 विकेट लिए और 386 रन बनाए। जिसके बाद वह चयनकर्ताओं की नजरों में आए। उनके पास दोनों तरफ गेंद को स्विंग करने की क्षमता थी। घरेलू क्रिकेट में प्रभावशाली प्रदर्शन के बाद उन्होंने नवंबर 2007 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा।
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उन्होंने भारत के लिए 68 एकदिवसीय और 6 टेस्ट मैच खेले, जिसमें 77 वनडे और 27 टेस्ट विकेट लिए। उन्हें विश्वकप 2011 की टीम में भी चुना गया था, लेकिन चोट के कारण उन्हें बाहर होना पड़ा। भारत के लिए प्रवीण कुमार ने आखिरी मैच 30 मार्च 2012 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला। ये टी-20 मैच था।