सबसे बुरा दिन
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पिंक बॉल टेस्ट में पृथ्वी शॉ दोनों पारियों में 0, 4 रन बना सके, जिसके बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। लेकिन कर्नाटक के खिलाफ 165 रन की पारी के बाद शॉ ने अपनी फॉर्म की वापसी को लेकर खुलकर बात की है, आखिर उनके लिए यह समय कितना मुश्किल था। शॉ ने कहा कि मैं कंफ्यूज था, मैं खुद से पूछ रहा था कि क्या गलत हो रहा है, क्या दिक्कत है। मैंने खुद से कहा कि यह पिंक बॉल टेस्ट है और दुनिया की सबसे बेहतरीन गेंदबाजी के सामने खेल रहा हूं।
कमरे में फूट-फूटकर रोया
शॉ ने कहा कि पहले टेस्ट मैच के बाद जब मुझे टीम से बाहर किया गया तो मैं बहुत चिंतित था, मुझे ऐसा लगा कि मैं किसी काम का नहीं हूं, लेकिन मैं इस बात से खुश था कि टीम अच्छा कर रही है। मैंने खुद से कहा कि मुझे कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। कहते हैं ना कड़ी मेहनत टैलेंट पर भारी पड़ती है। मैंने खुद से कहा कि टैलेंट ठीक है लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है कि अगर मैं कड़ी मेहनत नहीं करता हूं। पहले टेस्ट के बाद मुझे ड्रॉप किया तो मैं यह मेरे जीवन का सबसे दुखभरा दिन था, मैं अपने कमरे में गया और रोने लगा। मुझे ऐसा लगा,कुछ गलत हो रहा है, मुझे इसका जल्द से जल्द जवाब चाहिए था।
सचिन से बातचीत ने बदली स्थिति
शॉ ने कहा कि मैंने किसी से बात नहीं की, मुझे फोन आ रहे थे लेकिन मैं फोन पर बात करने की स्थिति में नहीं था। तब मैंने सचिन तेंदलुकर से बात की, उन्होंने कहा कि बहुत अधिक बदलाव की जरूरत नहीं है, बस जितना हो सके शरीर के करीब से बल्लेबाजी करो। मैं गेंद पर देर से आ रहा था, लिहाजा पूरे ऑस्ट्रेलिया दौरे पर मैंने इसपर काम किया। यही वजह है शायद मैं आईपीएल के बाद ऑस्ट्रेलिया गया था। शॉ ने कहा कि मैं जल्दी हार नहीं मानता हूं, मैं विरार का लड़का हूं, मैं गलियों से निकला हूं, मैं वापसी करना जानता हूं। मैंने हमेशा टीम को खुद से ऊपर रखा है, फिर चाहे क्लब हो, मुंबई की टीम या फिर टीम इंडिया।