आरसीबी ने की जबरदस्त पिटाई, लगा जैसे किसी ने जड़ा करारा तमाचा
अश्विन ने मांजरेकर से बात करते हुए बताया कि साल 2010 में रॉयल चैलेंजर्स के खिलाफ खेले गये मैच में राबिन उथप्पा और मार्क बाउचर ने उनकी गेंदों की ऐसी धुलाई की जिसके बाद टीम के कोच स्टीफन फ्लेमिंग ने उनसे बात तक नहीं की और नतीजन उन्हें टीम से हाथ धोना पड़ा।
उन्होंने कहा, 'रॉबिन उथप्पा और मार्क बाउचर ने मुझे कड़ा सबक सिखाया। मैंने 14वां, 16वां, 18वां और 20वां ओवर किया था। मैं युवा था और नहीं जानता था कि यह एक चुनौती है। मुझे लगा कि यह विकेट हासिल करने का अच्छा मौका है। मुझे विकेट तो मिला नहीं लेकिन मैंने 40 या 45 रन लुटाकर अपनी टीम को परेशानी में डाल दिया था। अगला मैच सुपर ओवर तक खिंचा और हम हार गए। मुझे टीम से बाहर कर दिया गया। मुझे लगा जैसे किसी ने मुझ पर करारा तमाचा जड़ दिया है।'
होटल छोड़ घर पर बैठना पड़ा
अश्विन ने बताया कि यह उस समय की बात है जब चेन्नई सुपर किंग्स की टीम होटल का खर्चा बचाने के लिये टीम में सिर्फ 18 खिलाड़ियों को ही रखती थी और बाकियों को घर पर बैठना पड़ता था।
उन्होंने कहा, 'मुझे बाहर कर दिया गया जिसके चलते मुझे होटल छोड़ना पड़ा और मैं घर में बैठ गया। मुझे लगा कि मैं इससे बेहतर का हकदार था क्योंकि मैं वेस्ट इंडीज में होने वाले टी20 विश्व कप के 30 संभावित खिलाड़ियों (अश्विन तब भारतीय टीम में जगह नहीं बना पाए थे) में से एक था।'
फ्लेमिंग के चलते टीम मैनेजमेंट ने नहीं लिया मेरा पक्ष
अश्विन ने बताया कि इस मैच के चलते फ्लेमिंग उनसे नाराज थे और सीएसके की टीम मैनेजमेंट में उनकी चलने के कारण मुझे बाहर कर दिया गया। उन्होंने बताया कि मैच के बाद कोच फ्लेमिंग ने उनसे बात तक नहीं की।
उन्होंने कहा, 'मैंने पहले तीन मैचों में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था। केवल दो मैचों में मेरा प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। असल में मेरे स्टीफन फ्लेमिंग से बहुत अच्छे संबंध नहीं थे और उन्होंने मुझसे बात तक नहीं की। इसलिए मैं घर में बैठकर सीएसके के मैच देख रहा था और वादा कर रहा था कि एक दिन मैं परिदृश्य बदल कर रहूंगा।'
सीएसके से बाहर होना मेरे लिये बड़ा सबक
अश्विन ने बताया कि सिर्फ 2 मैचों में खराब प्रदर्शन की बदौलत जब उन्हें सीएसके की टीम से बाहर कर दिया गया तो उनके लिये यह एक कड़ा सबक साबित हुआ और उन्होंने खुद के लिये नये बेंचमार्क बनाये और उन्हें हासिल करने की कोशिश में लग गये।
अश्विन ने कहा, 'लोग सोचते थे कि मैं खुद को बहुत अच्छा गेंदबाज मानता हूं लेकिन जब आईपीएल में खेलता हूं तो इस तरह से बुरा प्रदर्शन करता हूं। यह एक तमाचे की तरह था जैसे कोई बोल रहा हो कि तुम यहां के लायक भी नहीं हो। मैं सोचता था कि प्रथम श्रेणी मैचों की तुलना में टी20 मैच में गेंदबाजी करना आसान होता है।'
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में क्यों हैं खेलना मुश्किल
साल 2010 के बाद से अब तक अश्विन ने अपने करियर में अच्छा खासा सफर तय कर लिा है, जिसमें वह अब तक 71 टेस्ट मैच खेल चुके हैं और अब तक 365 विकेट अपने नाम कर चुके हैं। हालांकि इस दौरान उनका रिकॉर्ड साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में काफी प्रभावशाली नहीं रहा है, जिस पर बात करते हुए अश्विन ने बताया कि आखिर क्यों यहां पर खेलना मुश्किल है।
उन्होंने कहा, 'मैंने इंग्लैंड में जितने मैच खेले उनसे मुझे यह अहसास हो गया कि एक स्पिनर के लिए विपरीत परिस्थितियों में गेंदबाजी करते हुए (घरेलू परिस्थितियों जैसा) रिकॉर्ड बरकरार रखने के लिए सही समय पर गेंदबाजी करने की जरूरत होती है। दूसरी बात आपको थोड़ा भाग्य की भी जरूरत पड़ती है।'