इस कारण हुआ इस्तीफा नामंजूर
लोकपाल ने रजत शर्मा के इस्तीफे पर रोक लगाते हुए कहा कि अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के लिए प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया है जिसके चलते इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
गौरतलब है कि डीडीसीए अध्यक्ष रजत शर्मा ने शनिवार को तत्काल प्रभाव से अपना इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद सीईओ रवि चोपड़ा और क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) के दो सदस्यों सुनील वाल्सन और यशपाल शर्मा ने भी अपना पद छोड़ दिया था।
डीडीसीए में नहीं बची पारदर्शिता और ईमानदारी
रजत शर्मा ने इस्तीफा देते हुए अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से लिखा,' प्रिय सदस्यों, जबसे आपने मुझे DDCA का अध्यक्ष चुना है मैं समय-समय पर आपको अपने काम के बारे में जानकारी देता रहा हूं। मैंने DDCA को बेहतर बनाने के लिए, प्रफेशनल और पारदर्शी बनाने के लिए जो कदम उठाए उसके बारे में आपको बताया। आपसे किए गए वादों के पूरा होने की जानकारी दी।'
न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए रजत शर्मा ने कहा, 'ऐसा लगता है कि डीडीसीए में ईमानदारी और पारदर्शिता के सिद्धांतों के साथ चलना संभव नहीं है, जिससे किसी भी कीमत पर मैं समझौता करने के लिए तैयार नहीं हूं।'
आखिर क्यों दिया था इस्तीफा
बता दें कि रजत शर्मा जुलाई 2018 में इस पद के लिए चुने गए थे। रजत शर्मा एक निजी हिंदी समाचार चैनल के चेयरमैन और एडिटर इन चीफ हैं। अपने 20 महीने के कार्यकाल में रजत शर्मा को काफी उतार चढ़ाव देखने को मिले। इस बीच उनके सचिव विनोद तिहाड़ा, जिन्हें 2.11.2019 को निलंबित किया गया था के साथ सार्वजनिक रूप से मतभेद सामने आए थे। तिहाड़ा को संगठन में अच्छा समर्थन हासिल है, हालांकि उनका निलंबन वापस नहीं हो सकता है, क्योंकि यह मामला लोकपाल के पास लंबित है।
उल्लेखनीय है कि रजत शर्मा पूर्व वित्त मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली का समर्थन मिलने पर क्रिकेट प्रशासन से जुड़े थे। डीडीसीए के सूत्रों का मानना है कि जेटली के निधन के बाद उनकी पकड़ काफी कमजोर पड़ गई है, क्योंकि पूर्व वित्त मंत्री संस्था के विभिन्न गुटों को एकजुट रखने में अहम भूमिका निभाते थे।