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रमाकांत आचरेकर, जिन्होंने सचिन को कभी Well Played नहीं कहा

नई दिल्ली। दुनिया को सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली जैसे दो अनमोल खिलाड़ी देने वाले कोच रमाकांत आचरेकर इस दुनिया में अब नहीं हैं। 87 साल की उम्र में उनका निधन हो गया है, कोच या गुरू कहीं न कहीं शिष्य के जीवन में मां-बाप से भी बड़ी भूमिका निभाते हैं और अगर चर्चा सचिन तेंदुलकर के कोच की हो तो यह और भी अहम हो जाती है। सचिन जैसी शख्सियत के लिए यह एक निजी क्षति है।

सचिन तेंदुलकर ने हाल में अपने कोच से जुड़ा एक ऐसा वाकया शेयर किया जिसे हर शख्स को जानना चाहिए। वैसे तो शिक्षक को बहुत पहचान नहीं मिलती है लेकिन शिष्य अगर सचिन जैसे हों तो दुनिया भी उनका नाम जानती हैं। ऐसे ही एक शिक्षक और शिष्य की अनसुनी कहानी।

हमेशा मिलने जाते थे सचिन :

हमेशा मिलने जाते थे सचिन :

समय-समय पर सचिन तेंदुलकर अपने कोच रमाकांत आचरेकर से मिलने जाते थे। उन्होंने हाल में दिए एक साक्षात्कार में कहा कि कोच और शिक्षक माता-पिता की तरह होते हैं। उन्होंने कहा कि हम माता-पिता से अधिक समय अपने शिक्षक के साथ बिताते हैं। दादर के शिवाजी पार्क में कोच रमाकांत आचरेकर सचिन तेंदुलकर को ट्रेनिंग दिया करते थे। उन्होंने अपने साक्षात्कार में यह भी बताया कि 'सर कभी-कभी बहुत स्ट्रिक्ट भी थे, काफी अनुशासित थे लेकिन उतना ही प्यार और दुलार भी करत थे। मैं ने भले ही कितना बेहतर खेला हो लेकिन उन्होंने कभी मुझे वेल प्लेड नहीं कहा, हां एक बात थी सर मुझे भेल-पुरी या फिर पानी-पुरी खिलाने के लिए ले जाते तो मुझे लग जाता था कि मैं ने आज मैदान में कुछ अच्छा किया, सर आज खुश हैं।

तगड़ी थी कोच के साथ बॉन्डिंग:

तगड़ी थी कोच के साथ बॉन्डिंग:

सचिन ने कोच आचरेकर के साथ अपनी बॉन्डिंग को लेकर बताया कि वो समय-समय पर मुझ पर गुस्सा भी होते थे और मेरी गलतियों को भी बताते थे। उन्होंने इस इंटरव्यू में अपने बचपन का भी जिक्र किया और बताया कि "मैं बहुत ही नटखट बच्चा था, मुझे संभालना परिवार वालों को बहुत मुश्किल होता था, मैं बहुत भाग्यशाली था कि मुझे काफी बेहतर परिवार मिला, मेरे पिताजी भी बहुत शांत स्वभाव के थे और मुझ पर कभी गुस्सा नहीं होते थे, मेरी मां भी बिल्कुल ऐसी ही थी और उन्होंने मुझे आजादी दी लेकिन मैंने इसका कभी गलत इस्तेमाल नहीं किया। संयोग से मुझे कोच भी इतने ही अच्छे मिले।"

आचरेकर का दिया हुआ सबसे बड़ा गिफ्ट:

आचरेकर का दिया हुआ सबसे बड़ा गिफ्ट:

जब सचिन स्कूल में अभ्यास करते थे तो उनके कोच आचरेकर एक रुपये का सिक्का स्टंप पर रख देते थे और सभी गेंदबाजों से बोलते थे कि अगर उन्होंने सचिन का विकेट लिया तो वह सिक्का उनका हो जाएगा, लेकिन अगर सचिन का विकेट पूरे सेशन में कोई नहीं ले पाता था, तो वह सिक्का तेंदुलकर के नाम हो जाता था। सचिन ने कुल 13 सिक्के जीते और उसे अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा गिफ्ट मानते हैं।

Story first published: Wednesday, January 2, 2019, 19:42 [IST]
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