किस्मतवालों को मिलता है धोनी जैसा शिष्य
उन्होंने कहा, ''धोनी जैसा शिष्य बरसों में एक ही होता है। उन्होंने कहा कि मैने तो उसे बस राह दिखाई लेकिन रास्ता उसने तय किया। उसके जैसा शिष्य किस्मतवालों को मिलता है। उसकी कहानी एक मिसाल है और आने वाली कई पीढियों को उससे प्रेरणा मिलेगी। एक गुरू का फर्ज है कि हर शिष्य पर मेहनत करे और जब धोनी जैसा मुकाम कोई शिष्य हासिल करता है तो यही असल गुरूदक्षिणा होती है।''
धोनी को अलग बनाता है उनका फैसला
धोनी के अचानक संन्यास लेने पर बनर्जी ने कहा, ''उसका हर फैसला यूं ही सरप्राइज होता है। मैं हमेशा कहता आया हूं कि वह खुद जानता है कि उसे कब संन्यास लेना है। किसी को उसे बताने की जरूरत नहीं है और यही बात उसे अलग बनाती है।'' सबसे पहले 1992 में धोनी से मिलने वाले बनर्जी फुटबॉल के मैदान पर धोनी की गोलकीपिंग देखकर उसके मुरीद हो गए थे। उन्होंने अतीत के पन्ने खोलते हुए उस दिन के बारे में बताया कि मुझे आज भी वह दिन अच्छी तरह याद है। मैंने उसे फुटबॉल मैच खेलते देखा और उसकी डाइविंग, ग्रिप, गोलकीपिंग की समझ देखकर मैं हैरान रह गया। उस समय स्कूली स्तर पर इतने प्रतिभाशाली बच्चे कम होते थे तो मैने सोचा इसे क्रिकेट टीम में क्यों ना डाला जाए।
ऐसा काम करने वाले इकलाैते खिलाड़ी
धोनी को उनके छक्के लगाने के लिए जाना जाता है। वनडे क्रिकेट में रोहित शर्मा के बाद धोनी भारत के लिए सबसे ज्यादा छक्का जड़ने वाले बल्लेबाज हैं। वह शाहिद अफरीदी, क्रिस गेल, सनथ जयसूर्या और रोहित शर्मा के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा छक्के लगाने के मामले में चौथे स्थान पर हैं। धोनी 9 मौकों पर छक्का जड़कर टीम को जीत दिलाने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं।