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इस भारतीय क्रिकेटर ने कहा- मैं बहुत मेहनत कर रहा था, लेकिन रन नहीं बनते थे

नई दिल्ली। अगर टीम में जगह पानी है तो खिलाड़ियों के लिए प्रदर्शन दिखाना जरूरी रहता है। लेकिन कई ऐसे खिलाड़ी भी रहे जिन्होंने रणजी मैचों में तो खूब प्रदर्शन किया लेकिन राष्ट्रीय टीम की ओर से खेलने का माैका ज्यादा नहीं मिला। 2007 टी20 विश्व कप विजेता टीम के अहम सदस्य रहे रॉबिन उथप्पा भी उन्हीं खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्होंने मेहनत तो खूब की लेकिन जब टीम में खेलने का माैका मिलता था तो रन नहीं बनते थे।

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कही ये बात

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रॉबिन उथप्पा ने रॉयल राजस्थान फाउंडेशन के लाइव सत्र 'माइंड, बॉडी एंड सोल' में कहा, ''मुझे याद है 2009 से 2011 के बीच यह लगातार हो रहा था और मुझे रोज इसका सामना करना पड़ता था। मैं उस समय क्रिकेट के बारे में सोच भी नहीं रहा था।''उन्होंने कहा, ''मैं सोचता था कि इस दिन कैसे रहूंगा और अगला दिन कैसा होगा, मेरे जीवन में क्या हो रहा है और मैं किस दिशा में आगे जा रहा हूं। क्रिकेट ने इन बातों को मेरे जेहन से निकाला। मैच से इतर दिनों या ऑफ सीजन में बड़ी दिक्कत होती थी।''

मेहनत कर रहे थे लेकिन रन नहीं बन रहे थे

मेहनत कर रहे थे लेकिन रन नहीं बन रहे थे

उथप्पा ने कहा, ''मैं उन दिनों में इधर-उधर बैठकर यही सोचता रहता था कि मैं दौड़कर जाऊं और बालकनी से कूद जाऊं। लेकिन किसी चीज ने मुझे रोके रखा।'' उथप्पा ने कहा कि इस समय उन्होंने डायरी लिखना शुरू किया। उन्होंने कहा, ''मैने एक इंसान के तौर पर खुद को समझने की प्रक्रिया शुरू की। इसके बाद बाहरी मदद ली ताकि अपने जीवन में बदलाव ला सकूं।'' इसके बाद वह दौर था, जब ऑस्ट्रेलिया में भारत ए की कप्तानी के बावजूद वह भारतीय टीम में नहीं चुने गए। उन्होंने कहा, ''पता नहीं क्यों, मैं कितनी भी मेहनत कर रहा था, लेकिन रन नहीं बन रहे थे। मैं यह मानने को तैयार नहीं था कि मेरे साथ कोई समस्या है। हम कई बार स्वीकार नहीं करना चाहते कि कोई मानसिक परेशानी है।''

नकारात्मक अनुभवों का कोई मलाल नहीं

नकारात्मक अनुभवों का कोई मलाल नहीं

इसके बाद 2014-15 रणजी सत्र में उथप्पा ने सर्वाधिक रन बनाए। उन्होंने अभी क्रिकेट को अलविदा नहीं कहा है, लेकिन उनका कहना है कि अपने जीवन के बुरे दौर का जिस तरह उन्होंने सामना किया, उन्हें कोई खेद नहीं है। उन्होंने कहा, ''मुझे अपने नकारात्मक अनुभवों का कोई मलाल नहीं है, क्योंकि इससे मुझे सकारात्मकता महसूस करने में मदद मिली। नकारात्मक चीजों का सामना करके ही आप सकारात्मकता में खुश हो सकते हैं।''

Story first published: Thursday, June 4, 2020, 15:58 [IST]
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