रांची में दोनों पारियों में रोहित के स्कोर को नहीं छू पाए प्रोटियाज
रोहित ने इस मैच में 212 रन बनाए और दक्षिण अफ्रीका की टीम किसी भी पारी में रोहित के निजी स्कोर को भी नहीं छू नहीं सकी। अफ्रीका की पहली पारी 162 रन और दूसरी पारी 133 रनों पर ढेर हो गई। रोहित शर्मा इस सीरीज की सबसे बड़ी खोज साबित हुए जिन्होंने एक दोहरे शतक समेत पूरे सीरीज में 3 शतक जड़ दिए और वे 500 प्लस स्कोर करने वाले इकलौते बल्लेबाज बने। उन्होंने 3 टेस्टों की 4 पारियों में 529 रन बनाए जिसने उनका औसत 132.25 का रहा और स्ट्राइक रेट 77.45 का रहा। रोहित ने रांची में करियर का पहला दोहरा टेस्ट शतक भी लगाया। इस मैच में रोहित ने 212 रनों की पारी खेली जिसके दम पर उनको मैन ऑफ द मैच और ओवरऑल प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द सीरीज भी दिया गया।
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भारतीय टेस्ट इतिहास में केवल चार ही बल्लेबाज कर सके हैं ऐसा-
इसके साथ ही रोहित ने एक ऐसा रिकॉर्ड भी बना दिया जो भारतीय टेस्ट इतिहास में केवल चार ही बल्लेबाज कर सके हैं। रोहित के अलावा विराट कोहली ने साल 2017-18 के नागपुर टेस्ट में 243 रनों की पारी खेली थी जिसके जवाब में श्रीलंका की टीम पहली और दूसरी पारी में क्रमशः 205 और 166 रन ही बना पाई थी। कोहली से पहले सचिन ने ढाका में 2004-05 में बांग्लादेश के खिलाफ 248 रनों की पारी खेली थी जिसके जवाब में बांग्लादेश ने पहली पारी में 184 और दूसरी पारी में 202 रन बनाए थे।
चार भारतीय बल्लेबाज-
सचिन ने से ठीक एक साल पहले राहुल द्रविड़ ने पाकिस्तान के खिलाफ 270 रनों की पारी खेली जबकि पाकिस्तान की टीम रावलपिंडी में अपने घर पर खेलने के बावजूद भी 224 और 245 रनों के स्कोर पर ढह गई थी। टीम इंडिया में इससे पहले ये कारनामा पहली बार वी मांकड ने किया था जिन्होंने चेन्नई टेस्ट में 1955-56 के दौरान कीवी टीम के खिलाफ 231 रनों की पारी खेली थी जबकि न्यूजीलैंड अपनी पहली और दूसरी पारी में क्रमशः 209 और 219 रन बनाकर ऑल-आउट हो गई थी।
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मैच के बाद क्या रोहित ने किया मैनेजमेंट का शुक्रिया-
वहीं टेस्ट क्रिकेट में ओपनिंग का मौका देने के लिए रोहित शर्मा ने कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री का शुक्रिया अदा किया। रोहित ने इस दौरान यह भी बताया कि वनडे क्रिकेट में लंबे समय से ओपनिंग करके के कारण उनमें अनुशासन आया है। उन्होंने कहा, ‘फॉर्मेट कोई भी हो, बतौर ओपनर आपको ज्यादा अनुशासित रहना पड़ता है। 2013 में मैंने वनडे में ओपनिंग शुरू की थी। उसी वक्त मैंने अनुशासन का मंत्र अपना लिया था। मेरी सफलता में इसका बड़ा योगदान है। नई गेंद का सामना करना आसान नहीं होता। एक बार आप जब यह वक्त निकाल लेते हैं तो अपने हिसाब से खेल सकते हैं। '