लीड्स, जुलाई 7: खेलों की दुनिया में एक शब्द बड़ा प्रचिलत है, वह है- 'स्पेस'। इस शब्द के मायने एक ऐसी मनोःस्थिति से हैं जिसमें एक खिलाड़ी रहकर अच्छा या बुरा प्रदर्शन करता है। जब कोई खिलाड़ी लगातार शानदार प्रदर्शन कर रहा हो तो उसको कहा जाता है कि वह अपने 'गुड स्पेस' में है। कुछ ऐसी ही स्थिति इस समय भारतीय वनडे टीम के उपकप्तान रोहित शर्मा की है। अपने आसपास की चीजों से अप्रभावित रहकर वह लगातार रन बनाए जा रहे हैं।
श्रीलंका के खिलाफ 6 जुलाई को हुए मैच में शतक लगाकर रोहित ने इस विश्व कप में अपने नाम अब तक पांच शतक कर लिए हैं और वे इस प्रतियोगिता में 647 रन बना चुके हैं। अभी तक किसी बल्लेबाज में विश्व कप में चार से ज्यादा शतक नहीं लगाए थे। रोहित विश्व कप में सबसे ज्यादा रन बनाने के रिकॉर्ड से भी कुछ ही कदम दूर खड़े हैं। विश्व कप में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर के नाम है जिन्होंने 2003 के विश्व कप में 673 रन बनाए थे।
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रोहित अपने व्यक्तित्व में आज अलग किस्म की परिपक्वता ला चुके हैं। उनके स्वभाव में अब एक तरह की शांति दिखाई देती है जो ना केवल उनकी बल्लेबाजी में झलकती है बल्कि मैदान के बाहर बात करने में भी उनके साथ रहती है। जबकि पिता बनने से उनके अंदर एक स्वाभाविक जिम्मेदारी का भाव भी आ चुका है। रोहित निश्चित तौर पर अपने करियर की इस स्टेज का आनंद उठा रहे हैं।
रोहित अपनी 'गुड स्पेस' का श्रेय युवराज सिंह को देते हैं। युवराज के साथ उन्होंने इस साल मुंबई इंडियंस में अच्छा समय बिताया था। आईपीएल के इस सीजन में रोहित ने 15 मैचों में 405 रन बनाए थे। रोहित इन आंकड़ों से खास संतुष्ट नहीं थे इसलिए वे युवराज के पास गए और उनसे बात की। रोहित बताते हैं-'युवराज मेरे लिए बड़े भाई जैसे हैं, हम हमेशा खेल और जीवन के बारे में बातें करते रहते हैं। उन्होंने मुझसे कहा था कि जब भी बड़े-बड़े स्कोर करने की जरूरत होगी तुम कर लोगे। युवराज की भी 2011 विश्व कप से पहले मेरे जैसी स्थिति थी। वे ज्यादा स्कोर नहीं कर पाए थे। लेकिन उन्होंने मुझे 'गुड स्पेस' में रहने के लिए कहा। इसी स्पेस की बदौलत युवराज 2011 विश्व कप में इतने सफल हुए थे।'
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रोहित आगे कहते हैं, 'मैं यह विश्व कप शुरू होने से पहले 'गुड स्पेस' में बने रहना चाहता था। इस बार अलग फार्मेट था। ये लंबा टूर्नामेंट है और यहां पर परिस्थितियां काफी मायने रखती हैं। इ सभी चीजों को ध्यान में रखकर मैं खुद को अच्छे स्पेस में रखना चाहता है और मुझे लगता है मैंने ऐसा बहुत अच्छे से किया है।'
रोहित बताते हैं कि जैसे ही मैच खत्म होता है तो वे सभी चीजों को पीछे छोड़ देते हैं और अगले नए दिन पर फोकस करना शुरु कर देते हैं। ऐसा करने से उनको लगातार आगे बढ़ने में मदद मिलती है।