साल 2008 में सामने आई थी मीडिया लीक की रिपोर्ट
भारतीय टीम को 2007 का टी20 विश्व कप जिताने में तेज गेंदबाज आरपी सिंह और इऱफान पठान का बड़ा योगदान रहा था। साल 2008 में इन दोनों खिलाड़ियों के चयन को लेकर धोनी और चयनकर्ताओं के बीच हुई झड़प की एक खबर मीडिया में लीक हुई थी जिसके अनुसार धोनी इन दोनों खिलाड़ियों को टीम में नहीं चाहते थे और जब मैनेजमेंट ने उन्हें शामिल करने की बात की तो धोनी ने कप्तानी से इस्तीफा देने की बात कही थी। हालांकि इस मीडिया लीक को धोनी ने बकवास करार दिया था।
एक न्यूज चैनल से बात करते हुए आरपी सिंह ने चयन समिति की उस बैठक को लेकर कहा,' धोनी टीम में हमेशा उन लोगों को बैक करते थे जिनके बारे में उन्हें लगता था कि वो उनके प्लान को बेहतर तरीके से क्रियान्वित कर सकते हैं।'
चयन के दौरान पक्षपात नहीं करते थे धोनी
मीडिया लीक के अनुसार चयनकर्ताओं ने धोनी को आरपी सिंह की जगह टीम में इऱफान पठान को शामिल करने के लिये कहा तो उन्होंने कप्तानी से हटने की बात कही थी क्योंकि आरपी सिंह और धोनी अच्छे दोस्त थे।
इस पर बात करते हुए पूर्व तेज गेंदबाज रुद्र प्रताप सिंह ने कहा, 'क्रिकेट की दुनिया में महेंद्र सिंह धोनी का आज जो मुकाम है उसके पीछे बड़ी वजह यह रही कि वह चयन करते समय बिलकुल भी पक्षपात नहीं करते थे। उन्होंने टीम का चयन करते समय कभी भी दोस्ती को आड़े नहीं आने दिया।'
क्या मीडिया लीक के चलते आरपी के करियर पर पड़ा असर
उल्लेखनीय है कि चयनकर्ताओं की इस बैठक में भारत को इंग्लैंड के खिलाफ 7 मैचों की सीरीज खेलनी थी जिसके दूसरे मैच के बाद आरपी सिंह प्लेइंग इलेवन का हिस्सा नहीं बने और बाहर हो गये। इस बारे में बात करते हुए आरपी सिंह से सवाल किया गया कि क्या उस मीडिया लीक का असर उनके करियर पर भी पड़ा।
इसके जवाब में उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि उस लीक को कोई असर मुझ पर पड़ा था। जिस इंग्लैंड सीरीज के बारे में आप बात कर रहे हैं मुझे लगता है कि इंदौर में मैंने कोई विकेट नहीं लिया था। हां, स्वाभाविक रूप से लोग सोचते हैं कि उन्हें दो-तीन मैच खेलने को मिलेंगें लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कुछ को पांच मौके भी मिलते हैं और कुछ किस्मत वालों को 10 मौके भी मिलते हैं।'
धोनी से की थी बात, लेकिन देश के लिये दोस्ती नहीं देखी
आरपी सिंह ने आगे बताया कि उन्होंने इस सीरीज के बाद धोनी से बात की थी और गेंदबाजी में सुधार को लेकर चर्चा भी की थी लेकिन मैं वापसी कर पाने में नाकाम रहा और धोनी के लिये दोस्ती से बड़ा देश हमेशा रहा है।
उन्होंने कहा, 'मैंने और धोनी ने इस बारे में चर्चा की थी कि मैं कहां अपने खेल में सुधार कर सकता हूं। मैं क्या बेहतर कर सकता हूं। मैं जानता हूं कि एमएस धोनी की दोस्ती अलग चीज है लेकिन देश की टीम की कप्तानी करना अलग बात है। उस लम्हे में उन्होंने उन लोगों को आगे बढ़ाया जो उनकी नजर में बेहतर थे। मुझे लगता है कि धोनी ने उन लोगों को तरजीह दी जो उनके प्लान को बेहतर तरीके से क्रियान्वित कर सकते थे। इसी वजह से एमएस धोनी आज एमएस धोनी हैं। फैसले लेते समय वह बिलकुल भेदभाव नहीं करते। मैं इस वजह से ज्यादा नहीं खेल पाया क्योंकि मेरी रफ्तार और स्विंग खत्म हो गई था। बाकी सब चीजें बाद में आती हैं। अगर मैं तब सुधार कर लेता, तो मैं ज्यादा खेलता। पर मैंने जो भी हासिल किया उससे मैं खुश हूं।'