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गुरू को अंतिम यात्रा में सचिन ने दिया कंधा
बता दें कि सचिन तेंदुलकर के कोच आचरेकर का 87 साल की उम्र में निधन हो गया था। साल 1990 में रामकांत आचरेकर को द्रोणाचार्य पुरस्करा से सम्मानित किया गया।2010 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 2010 में ही उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बीते शिक्षक दिवस पर सचिन तेंदुलकर ने बताया था कि कैसे उन्हें उनके कोच ने इस काबिल बनाया और उनकी ट्रेनिंग पर लगातार ध्यान दिया।
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आंसूओं के बीच गुरू को अंतिम विदाई
रमाकांत आचरेकर की कोचिंग में ही सचिन तेंदुलकर, विनोद कांबली, समीर दीघे, प्रवीण आमरे, चंद्रकांत पंडित और बलविंदर सिंह संधू सरीखे कई दिग्गज क्रिकेटरों ने अपने खेल को निखारा। समय-समय पर सचिन तेंदुलकर अपने कोच रमाकांत आचरेकर से मिलने जाते थे। उन्होंने हाल में दिए एक साक्षात्कार में कहा कि कोच और शिक्षक माता-पिता की तरह होते हैं। उन्होंने कहा कि हम माता-पिता से अधिक समय अपने शिक्षक के साथ बिताते हैं। दादर के शिवाजी पार्क में कोच रमाकांत आचरेकर सचिन तेंदुलकर को ट्रेनिंग दिया करते थे। उन्होंने अपने साक्षात्कार में यह भी बताया कि 'सर कभी-कभी बहुत स्ट्रिक्ट भी थे, काफी अनुशासित थे लेकिन उतना ही प्यार और दुलार भी करत थे। सचिन गुरू को अंतिम विदाई देते हुए अपने आंसू नहीं रोक सके।
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पुरानी यादों का एक अमिट किस्सा
जब सचिन स्कूल में अभ्यास करते थे तो उनके कोच आचरेकर एक रुपये का सिक्का स्टंप पर रख देते थे और सभी गेंदबाजों से बोलते थे कि अगर उन्होंने सचिन का विकेट लिया तो वह सिक्का उनका हो जाएगा, लेकिन अगर सचिन का विकेट पूरे सेशन में कोई नहीं ले पाता था, तो वह सिक्का तेंदुलकर के नाम हो जाता था। सचिन ने कुल 13 सिक्के जीते और उसे अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा गिफ्ट मानते हैं।