सचिन तेंदुलकर ने बताया कौन सी 3 पारियां है फेवरिट
सचिन तेंदुलकर ने इन पारियों का खुलासा करते हुए बताया कि उन्हें 1992 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ में खेली गई 114 रन की पारी, 1999 में केन्या के खिलाफ खेली गई 140 रनों की पारी और 2008 में इंग्लैंड के खिलाफ बनाये गये 108 रनों की पारियां दिल के काफी करीब हैं।
उन्होंने कहा,'पर्थ में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई 114 रन की पारी ने मुझे आत्म-विश्वास दिया तो वहीं 1999 में केन्या के खिलाफ खेली गई पारी इसलिये खास थी क्योंकि तभी मेरे पिता का निधन हुआ था। वह मेरे करियर का सबसे भावुक पल था। जबकि 2008 में इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई 108 रनों की पारी इसलिये खास थी क्योंकि वह मुंबई में हुए हमलों के बाद खेली गई थी।'
करियर की हाइलाइट रहे यह 3 शतक
इस दौरान 100 अंतर्राष्ट्रीय शतक लगाने वाले सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर की उन 3 शतकीय पारियों के बारे में भी बताया जिन्हें वो अपने करियर की हाइलाइट मानते हैं। इस फेहरिस्त में सचिन तेंदुलकर की 1998 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ डेजर्ट स्टोर्म में खेली गई 2 शतकीय पारी और साल 2003 में पाकिस्तान के खिलाफ विश्व कप में 98 रनों की पारी शामिल है।
उल्लेखनीय है कि शारजाह के मैदान पर 1998 में खेले गये कोला कप को जीतने के लिये भारत को सेमीफाइनल और फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया की चुनौती का सामना करना पड़ा जिसमें सेमीफाइनल मैच के दौरान डेजर्ट स्टोर्म देखने को मिला लेकिन इसके बावजूद सचिन तेंदुलकर ने 143 रनों की पारी खेली और टीम को फाइनल में पहुंचाया, हालांकि खिताब जीतने के लिये यह काफी नहीं थे। 2 दिन बाद अपने जन्मदिन पर सचिन तेंदुलकर ने 134 रन की एक और शतकीय पारी खेली और भारत को कोला कप जिताया।
पाकिस्तान के खिलाफ 2003 विश्व कप भी रहा खास
सचिन तेंदुलकर ने आगे बताया कि उनके करियर की हाइलाइट पारियों में 2003 विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ उनकी 98 रनों की पारी भी शामिल है जिसमें वो भले ही शतक पूरा नहीं कर सके थे लेकिन इसके चलते भारतीय टीम ने विश्व कप में पाकिस्तान को हराने के अपने रिकॉर्ड को बरकरार रखा था।
इसके साथ ही सचिन तेंदुलकर ने पाकिस्तान के खिलाफ अपने पहले दौरे को याद किया और बताया कि उस वक्त मेरी उम्र महज 16 साल की थी। नवंबर-दिसंबर में खेले गये इस दौरे पर हमने पाकिस्तान में कुछ गर्म सामान खरीदा। तब मैं बड़ा ही हो रहा था और मैं टेबल पर मौजूद सभी खिलाड़ियों कि प्लेट से कुछ न कुछ खा रहा था। सभी मेरे प्रदर्शन से खुश थे। वापस आने पर मेरे परिवार के सभी लोग भी मेरे प्रदर्शन पर खुश थे।