बेहद खास था पहला शतक
सचिन तेंदुलकर ने अपने पहले शतक की 30वीं सालगिरह पर बात करते हुए कहा कि उनका यह शतक बेहद खास था क्योंकि इसकी वजह से उनकी टीम सीरीज में बनी हुई थी। हालांकि उन्हें मैच बचाने का कॉन्फिडेंस पाकिस्तान दौरे से मिला था जब वकार युनूस की बाउंसर लगने के बाद उनके नाक से खून बह रहा था और उसके बावजूद वह बल्लेबाजी करते रहे थे।
उन्होंने अपने पहले शतक की 30वीं सालगिरह पर कहा, ‘मैंने 14 अगस्त को शतक बनाया था और अगला दिन स्वतंत्रता दिवस था तो वह खास था। अखबारों में हेडलाइन अलग थी और उस शतक ने सीरीज को जीवंत बनाए रखा। टेस्ट बचाने की कला मेरे लिए नई थी। सियालकोट में मैंने चोट लगने के बावजूद 57 रन बनाए थे और हमने वह मैच बचाया जबकि चार विकेट 38 रन पर गिर गए थे। वकार का बाउंसर और दर्द में खेलते रहने से मैं मजबूत हो गया।'
वकार की तरह मैल्कम ने की थी गेंदबाजी
सचिन तेंदुलकर ने उस मैच को याद करते हुए कहा कि मैनचेस्टर टेस्ट के दौरान डेवोन मैल्कम ने भी वैसी ही गेंदबाजी की थी जैसे सियालकोट में वकार कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘डेवोन और वकार उस समय सबसे तेज गेंदबाज हुआ करते थे। मैंने फिजियो को नहीं बुलाया, क्योंकि मैं यह जताना नहीं चाहता था कि मुझे दर्द हो रहा है। मुझे बहुत दर्द हो रहा था। मुझे शिवाजी पार्क में खेलने के दिनों से ही शरीर पर प्रहार झेलने की आदत थी। आचरेकर सर हमें एक ही पिच पर लगातार 25 दिन तक खेलने को उतारते थे जो पूरी तरह टूट फूट चुकी होती थी। ऐसे में गेंद उछलकर शरीर पर आती थी।'
आखिरी वक्त तक नहीं लगा था कि हम मैच बचा लेंगे
इस बीच जब सचिन तेंदुलकर से पूछा गया कि क्या उन्हें लगा था कि टीम आखिरी घंटे में मैच बचा लेगी तो जवाब में सचिन ने कहा कि बिल्कुल भी नहीं।
उन्होंने कहा, ‘बिल्कुल नहीं। हम उस समय क्रीज पर आए जब छह विकेट 183 रन पर गिर चुके थे। मैंने और मनोज प्रभाकर ने साथ में कहा कि यह हम कर सकते हैं और हम मैच बचा लेंगे। मैं सिर्फ 17 साल का था और मैन ऑफ द मैच पुरस्कार के साथ शैंपेन की बोतल मिली थी। मैं पीता नहीं था और मेरी उम्र भी नहीं थी। मेरे सीनियर साथियों ने पूछा कि इसका क्या करोगे।'
सचिन तेंदुलकर ने बताया कि मैनचेस्टर में लगाये गये उस शतक के बाद उनके साथी खिलाड़ी संजय मांजरेकर ने उन्हें एक सफेद कमीज तोहफे में दी थी और वह भावविभोर हो गए थे।