सचिन ने सहवाग के जरिए दिया मैसेज-
"तो मैंने वीरू से कहा, 'तू ओवर के बीच में सिर्फ ये बाते जान जाके एमएस को बोल और अगला ओवर शूरु होने से पहले वापिस आजा। मैं यहां से नहीं हिलने वाला। "
सहवाग ने वही बात जाकर धोनी को बोल दी। इसी बीच धोनी ड्रेसिंग रूम में चले गए। तेंदुलकर ने कहा, "मैंने एमएस से इस रणनीति पर विचार करने के लिए कहा।"
"वह तब (कोच) गैरी (कर्स्टन) के पास गया, जो बाहर बैठा था। तब गैरी अंदर आया और हम चारों उसके बारे में बात करने लगे। गैरी ने भी इस बात को मान लिया कि यह सही बात है।" धोनी ने भी सहमति व्यक्त की और खुद को ऊपर प्रमोट कर दिया।
इस फैसले ने बदल दिया मैच का नक्शा
यह कदम एक ऐसा निकला जिसमें भारत के मैच जीतने में बड़ी भूमिका निभाई। गंभीर के शतक से तीन रन कम पर आउट होने के बाद धोनी अंदर फंस गए और युवराज ने उनका साथ दिया। इस जोड़ी नाबाद 54 रनों की साझेदारी की और धोनी ने 79 गेंदों में 91 रनों की नाबाद पारी खेली। उन्होंने प्रतिष्ठित छक्के के साथ मैच का अंत किया।
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सचिन ने कहा गौतम की पारी शानदार थी
तेंदुलकर और सहवाग दोनों के पास शानदार करियर था और दोनों 2011 के विश्व कप की जीत को शिखर के रूप में देखते हैं। तेंदुलकर अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के 22 वें वर्ष में थे और यह संभवतः विश्व कप जीतने का उनका आखिरी मौका था।
तेंदुलकर ने कहा, "गौतम की पारी शानदार थी। इसने लक्ष्य का पीछा किया और मंच सेट किया। और जिस तरह से एमएस ने इसे शानदार बताया। यह एक बहुत बड़ी पारी थी। वह छक्का इसमें चार-चांद जोड़ गया।"