'गिड़गिड़ाना पड़ा, करनी पड़ी खुशामंद'
लेकिन यह इतना आसान नहीं था। 90 के दशक के शुरुआती दिनों में सचिन ओपनिंग पर नहीं आते थे और उनको सलामी बल्लेबाज की भूमिका पाने के लिए गिड़गिड़ाना तक पड़ा था। इस बात का खुलासा एक चैट शो पर सचिन ने खुद एक वीडियो के जरिए किया है कि कैसे उनको ओपनिंग करने के लिए गिड़गिड़ाना और विनती करना पड़ा था। सचिन ने 1994 में न्यूजीलैंड के खिलाफ ऑकलैंड में हुए किस्से को याद करते हुए कहा है, '1994 में सब टीमों की रणनीति विकेट बचाने की होती थी। तब मैंने तय किया कि कुछ हटकर काम किया जाए।'
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'जीवन में आगे बढ़ते हुए रिस्क से मत डरिए'
सचिन ने आगे कहा, 'मैंने सोचा कि मैं सामने से आकर विपक्षी गेंदबाजों पर धावा बोलूंगा। लेकिन इसके लिए मुझे गिड़गिड़ाना और विनती करना पड़ा कि प्लीज मुझे एक मौका दे दो। अगर मैं फेल हुआ तो वापस आपके पास नहीं आऊंगा।' बाद में यह फैसला सचिन के करियर को पूरी तरह से बदलने वाला साबित हुआ। सचिन ने एक ओपनर के तौर पर वनडे क्रिकेट में बड़े-बड़े कीर्तिमान स्थापित कर दिए। सचिन ने इस उदाहरण के जरिए अपने फैंस को यह समझाने की कोशिश की है कि उनको जीवन में कभी भी आगे बढ़ने के लिए रिस्क लेने में शर्माना नहीं चाहिए।
ओपनिंग ने बदल दी करियर की तस्वीर-
46 साल के सचिन आगे कहते हैं- उस मैच में मैंने 49 गेंदों पर 82 रन बनाए थे, इसलिए मुझे फिर यह पूछना नहीं पड़ा कि मुझे एक और मौका मिलेगा क्या। सब मुझसे ओपनिंग कराना चाहते थे। लेकिन यहां मैं आपसे कहना चाहता हूं कि असफलताओं से मत डरिए। सचिन तेंदुलकर ने वनडे क्रिकेट में 49 शतक बनाए लेकिन उनका पहला शतक पांच साल के लंबे इंतजार के बाद आया था जो 1994 में ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सितंबर में लगाया था। सचिन ने एक ओपनिंग बल्लेबाज के तौर पर शुरुआती पांच पारियों में 82, 63, 40, 63 और 73 रन बनाए। सचिन ने अपना वनडे करियर 463 मैचों में 18,426 रनों के साथ समाप्त किया।