नई दिल्ली। भारतीय टीम इस समय ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी खेलने पहुंची है, ऐसे में दोनों टीमों के लिये पूर्व में खेली गई ऐतिहासिक पारियों का जिक्र आना लाजमी ही है। इसी फेहरिस्त में सचिन तेंदुलकर की ओर से साल 2003-04 में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में लगाया गया करियर का तीसरा दोहरा शतक भी आता है जिसे उनके करियर की सबसे बेहतरीन पारियों में गिना जाता है। सिडनी के मैदान पर सचिन तेंदुलकर की ओर से खेली गई इस नाबाद 241 रनों की पारी की बदौलत भारत इस सीरीज को 1-1 से बराबर करने में कामयाब रहा था।
सचिन तेंदुलकर ने इस दौरे पर खराब फॉर्म से जूझ रहे थे जिससे उबरकर उन्होंने इस मुकाबले में नाबाद 241 रन बनाकर फॉर्म में वापसी की। सचिन अपनी इस पारी से पहले 4 पारियों में सिर्फ 38 रन बना सके थे जिसमें वो 2 बार खाता नहीं खोल सके थे तो वहीं एक पारी में सिर्फ 1 रन बनाकर आउट हो गये थे।
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अपनी इस पारी के बारे में पहले कई बार बात करते हुए सचिन तेंदुलकर ने कहा है कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इसे एक चैलेंज के रूप में लिया था और शानदार तरीके से खराब फॉर्म से उबरकर बाहर आये। हालांकि अब सचिन ने बताया है कि कैसे वो इस पारी के दौरान वह पांच दिन तक एक ही गाना सुनते रहे थे जिसने उन्हें न सिर्फ ध्यान लगाने में मदद की बल्कि खराब फॉर्म से भी बाहर निकाला।
उन्होंने कहा,' सिडनी टेस्ट के दौरान जब मैंने 241 रनों की पारी खेली थी तो उस दौरान मैं 5 दिन तक एक ही गाना सुनता रहा था और वो था ब्रायन एडम्स का समर ऑफ 69। मैंने इस गाने को लूप में लगा रखा था, फिर चाहे हम मैदान पर अभ्यास के लिये जा रहे हों, ड्रेसिंग रूम में बैठे हों, बल्लेबाजी के लिये जा रहे हों, लंच टाइम, टी टाइम, दिन का खेल खत्म होने का बाद का वक्त या फिर वापस होटल जाने के समय, मैंने 5 दिन तक लगातार इस गाने को सुनने का काम किया।'
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इस दौरान सचिन तेंदुलकर ने माना कि यह कुछ ऐसी चीजें हैं जो कि करियर में बेहद कम बार ही होती हैं। उन्होंने बताया कि इस पारी से एक साल पहले भी उन्होंने कुछ ऐसा ही किया था जब 2003 विश्व कप के दौरान वह 673 रन बनाकर विश्व कप के एक संस्करण में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बने थे, जो कि आज भी एक रिकॉर्ड है।
सचिन ने बताया कि मुझे याद है कि 2003 में साउथ अफ्रीका में आयोजित हुए विश्व कप के दौरान मैंने लकी अली के एलबम सुर को सुना था जो कि मुझे काफी पसंद आया था और विश्व कप में जैसे-जैसे समय बीता मैं इसी को सुनता चला गया।