स्लिप में खड़े रहकर जानें धोनी के कप्तानी के गुण
सचिन तेंदुलकर ने इस बारे में बात करते हुए साफ किया कि उस साल मैंने, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ तीनों ने धोनी के नेतृत्व में टी20 विश्व कप के लिये टीम भेजने का फैसला किया था।
तेंदुलकर ने अपने इंटरव्यू में कहा, 'मैं इसके बारे में विस्तार में नहीं जाऊंगा कि यह कैसे हुआ हां लेकिन जब मुझसे (बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारियों ने) पूछा गया तो मैंने बताया कि मैं क्या सोचता हूं। तो मैंने कहा था कि मैं दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर नहीं जाऊंगा क्योंकि मैं तब कुछ चोटों से परेशान था। लेकिन तब मैं स्लिप कॉर्डन में फील्डिंग करता था और धोनी से बात करता रहता था और मैंने तब समझा कि वह क्या सोच रहा है, फील्डिंग कैसे होना चाहिए और तमाम पहलुओं पर मैं बात करता था।'
धोनी के पास थी अपने फैसले के लिये मना लेने की क्षमता
सचिन तेंदुलकर ने बताया कि धोनी के पास एक अदभुत कला थी जिसके अनुसार वह अपने फैसले के लिये सभी को मना देने की लेने की ताकत रखते हैं।
उन्होंने कहा, 'मैंने धोनी की मैच की परिस्थितियों के आकलन करने की क्षमता देखी और इस नतीजे पर पहुंचा कि उसके पास बहुत अच्छा क्रिकेटिया दिमाग है इसलिए मैंने बोर्ड को बताया कि मुझे क्या लगता है। धोनी को अगला कप्तान बनाया जाना चाहिए। मैं जो कुछ सोच रहा था और उसकी जो सोच थी, वह काफी हद तक मिलती जुलती थी। अगर मैं आपको किसी बात के लिये मना लेता हूं तो हमारी राय एक जैसी हो जाएगी और धोनी के साथ यह बात थी. हम दोनों एक तरह से सोचते थे और इसलिए मैंने उनके नाम का सुझाव दिया।'
दिग्गज खिलाड़ियों के बीच धोनी को मिली थी टीम की कमान
गौरतलब है कि साल 2008 में धोनी को तब टेस्ट टीम की कमान सौंपी गयी जब भारतीय टीम में सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह और जहीर खान जैसे सीनियर क्रिकेटर शामिल थे।
ऐसे में जब तेंदुलकर से पूछा गया कि धोनी सीनियर खिलाड़ियों को कैसे साथ लेकर चलते थे तो उन्होंने कहा, ' मैं केवल अपनी बात कर सकता हूं कि मेरी कप्तान बनने की कोई इच्छा नहीं थी। मैं आपसे यह कह सकता हूं कि मैं कप्तानी नहीं चाहता था और मैं टीम के लिये हर मैच जीतना चाहता था। कप्तान कोई भी हो मैं हमेशा अपना शत प्रतिशत देना चाहता था। मुझे जो भी अच्छा लगता था मैं कप्तान के सामने उसे रखता था। फैसला कप्तान का होता था लेकिन उसके कार्यभार को कम करना हमारा कर्तव्य होता है। जब 2008 में धोनी कप्तान बना तब मैं लगभग 19 साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बिता चुका था। इतने लंबे समय तक खेलने के बाद मैं अपनी जिम्मेदारी को समझता था।'