कॉमेंट्री पैनल तय करता है किसे मिले मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड
उन्होंने कहा,'मैन ऑफ द मैच को चुनने में कॉमेंट्री पैनल का काफी बड़ा हाथ होता है। जब मैं कॉमेंट्री नहीं कर रहा होता हूं और जब किसी हकदार खिलाड़ी को मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड नहींं मिलता है तो मुझे काफी चिढ़ होती है। मेरा मानना है कि जिस खिलाड़ी की वजह से टीम जीत की स्थिति में पहुंची है उसे जरूर मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड मिलना चाहिये।'
मांजरेकर ने सुनाया 30 साल पुराना किस्सा
मांजरेकर ने खुद के साथ 30 साल पहले हुए वाकये का जिक्र करते हुए कहा,' मेरे साथ यह चीज 1990 में हेडिंग्ले के मैदान पर इंग्लैंड के खिलाफ खेले गये मैच में हुई थी। तब वनडे मैच में 55 ओवर्स की गेंदबाजी हुआ करती थी। इंग्लैंड की टीम ने पहले खेलते हुए 229 रनों का स्कोर खड़ा किया। अनिल कुंबले अपने पहले दौरे पर थे, उन्होंने 11 ओवर्स गेंदबाजी करते हुए 29 रन दिये और रॉबिन स्मिथ और डेविड गोवर का विकेट हासिल किया। वहीं जब हम रनों का पीछा कर रहे थे तो मैंने 82 रनों की पारी खेली और लगभग अंत तक खड़ा रहा। आखिर में हम मैच जीत गये। हम अक्सर देखते हैं कि ऐसी परिस्थिति में बल्लेबाजों को मान ऑफ द मैच का अवॉर्ड दिया जाता है, इसी वजह से मेरे दिमाग में भी था कि शायद मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड आज मेरे फेवर में जायेगा। लोग मुझे बधाई दे रहे थे और मैं भी काफी होपफुल था।'
बॉयकॉट ने मुंह पर बताया कि मुझे क्यों नहीं देंगे मैन ऑफ द मैच
मांजरेकर ने आगे बताया कि जहां लोग मुझे बधाइयां दे रहे थे तो वहीं पर कुछ ऐसा था जो किसी को नजर नहीं आया था। बॉयकॉट के दिमाग में पहले से कुंबले थे और पूर्व इंग्लिश कप्तान ने पूरी तरह से यह सुनिश्चित किया कि यह मैसेज मुझ तक पहुंच जाये कि उनके चाहने के वजह से ही मुझे मैन ऑफ द मैच नहीं मिल सका है।
उन्होंने कहा,' मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड ज्यॉफ्री ब्यॉक्ट को देना था। उन्होंने एक चीज काफी अच्छी की। वह ड्रेसिंग रूम में सीधा मेरे पास आये और कहा कि यंग मैन तुमने काफी अच्छा खेला। मुझे लगता है कि तुम्हारी पारी काफी जीत में काफी अहम थी। तुमने काफी अच्छा किया लेकिन जिस खिलाड़ी ने आज तुम्हारे लिये मैच जीता वो अनिल कुंबले थे, उन्होंने 11 ओवर में सिर्फ 29 रन दिये और इंग्लैंड को ज्यादा रन बनाने नहीं दिया। उन्होंने यह बात सीधा मेरे चेहरे पर कही।'