विराट कोहली का बुरा दौर फिर आ गया-
विराट कोहली के लिए इंग्लैंड का मौजूदा दौरा बुरी तरह सफलता लेकर आया है जहां उनके बल्ले से रन नहीं निकल रहे हैं। कई लोगों ने तो दबी जबान में यह भी कहना शुरू कर दिया है क्या कहीं कोहली का हाल 2014 वाला तो होने नहीं जा रहा? मांजरेकर का मानना है कि जब 2018 में विराट कोहली ने दौरा किया तो उन्होंने खूब सारी गेंदों को सफलतापूर्वक छोड़ा और कहीं अधिक धैर्य दिखाया जिसके दम पर उनको दो शतक मिले और सीरीज में वे 593 रन बनाने में सफल रहे। मांजरेकर यह भी कहते हैं कि क्रिकेट के अन्य महान बल्लेबाजों की तुलना में विराट कोहली के पास वाकई में कई कमजोरियां है।
असल में 2014 में विराट कोहली ऑफ स्टंप के बाहर जाती गेंदों पर अपनी तकनीकी कमजोरी को दुनिया के सामने दिखा गए थे और अब एक बार फिर से वही पोल खुलती नजर आ रही है। कोहली को तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं और वे आउट हो रहे हैं। 2014 के दौरे पर पर कोहली को लगातार तंग करने वाले जेम्स एंडरसन इस बार भी उनका शिकार करने लगे हैं। अभी तक कोहली ने पांच टेस्ट पारियों में केवल 69 रन बनाए हैं।
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कहीं मानसिकता में बदलाव ने खेल तो नहीं बदला?
विराट कोहली चाहे कितने भी बेफिक्र रहें लेकिन यह सच है कि उनमें कहीं ना कहीं दुनिया के सर्वकालिक महानतम बल्लेबाजों वाली तकनीकी दक्षता नहीं है। कोहली टेस्ट क्रिकेट में कभी एक निरंतर बल्लेबाज नहीं रहे क्योंकि करियर के शुरुआती दिनों में उनको टेस्ट क्रिकेट में वनडे जैसी सफलता नहीं मिली थी फिर बीच का एक दौर आया जहां वे रनों की बारिश कर गए। वह वाला विराट कोहली एथलेटिक मानसिकता का खिलाड़ी था जो दुनिया के सबसे फिट खिलाड़ियों के साथ खुद को देखना चाहता था।
अब कोहली एक पारिवारिक इंसान भी हैं, उनमें उम्र का भी एक दौर आया है। बेटी के जन्म के बाद खुद को ट्विटर पर क्रिकेटर की जगह 'प्राउड पति और पिता' लिखने वाले कोहली फिर रनों के लिए तरसने लगे हैं। लगता है असली खेल तो मानसिकता में ही बदलाव का हुआ है।
मांजरेकर कहते हैं- पिछला दिमागी प्रयास इस बार गायब है
महेश मांजरेकर सोनी स्पोर्ट्स से बात करते हुए बताते हैं, "विराट के पास अपने दर्जे के अन्य दिग्गजों की तुलना में कुछ समस्याएं जरूर है। बाकी महान बल्लेबाजों में चाहे वह सचिन तेंदुलकर हों, गावस्कर हों या फिर भी रिचर्ड्सन, उनकी ऐसी कमजोरियां नहीं थी।
मांजरेकर कहते हैं, "कोहली अजिंक्य रहाणे की तरह अलग अंदाज में भी आउट नहीं हो रहे हैं। मुझे विश्वास है कि अब वे इससे परेशान होना शुरू हो गए होंगे। जब उन्होंने 2018 में रन किए तो कवरड्राइव या फिर पुल नहीं मारे जैसे कि उन्होंने मिशेल जॉनसन के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया में मारे थे। बल्कि तब उन्होंने गेंदों को छोड़ा था और यह और ऐसा करना बहुत ज्यादा दिमागी प्रयास मांगता है।"