नयी दिल्ली (ब्यूरो)। एशियन गेम्स में भारत के लिए आज दो सबसे बड़ी खबर रही। एक खबर ऐसी जिसने पूरे देश को खुशी दी तो वहीं दूसरी खबर ने देश की आंखों को नम कर दिया। इतना ही नहीं दूसरी खबर ने इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन पर भी सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। खुशखबरी ये कि तीन बच्चों की मां, एक समय में खेतों में घास काट कर पेट पालने वाली महिला और पांच बार की वर्ल्ड चैंपियन 31 वर्षीय भारतीय महिला मुक्केबाज मांग्टे चुंग्नेइजांग मैरी कोम उर्फ एमसी मैरीकॉम ने एशियाई खेलों के फ्लाईवेट (48-51 किलोग्राम वर्ग) मुकाबले में गोल्ड मेडल जीत लिया है। उनकी इस जीत के साथ ही इंचियोन में चल रहे 17वें एशियाई खेलों में भारत के सुनहरे तमगों की संख्या सात हो गई है। फाइनल में मैरीकॉम ने कजाकिस्तान की मुक्केबाज झाएना शेकेरबेकोवा को मात दी।
सरिता देवी की आंख को देखकर साफ समझा जा सकता था कि वो रात भर सोई नहीं रोईं हैं। मगर जजबात की लड़ाई में वो हार गईं और जैसे ही ब्रॉन्ज मेडल विनर के तौर पर उनके नाम का ऐलान हुआ आसूओं ने उनके आंख का साथ छोड़ दिया और वो फफक कर रो पड़ी। अधिकारी ब्रॉन्ज मेडल लेकर उनके पास पहुंचे, लेकिन सरिता ने उनका हाथ रोकते हुए मेडल लेने से इनकार कर दिया। हालांकि अधिकारियों ने जब सरिता देवी से मिन्नतें की तो उन्होंने मेडल हाथ में ले लिया।
मैरीकॉम ने गोल्ड मेडल किया सरिता को समर्पित
मैरीकॉम ने अपना मेडल सरिता देवी को समर्पित किया है। मैरीकोम ने कहा कि कोरिया की खिलाड़ी होने की कारण सरिता के साथ नाइंसाफी हुई। सरिता ने एकतरफा पंच लगाए तो हारने का सवाल ही नहीं।