12 साल पहले कही थी ये बात
सहवाग ने इंडियन एक्सप्रेस में अपने कॉलम में खुलासा करते हुए लिखा, 'जब मैंने पहली बार सुना कि गांगुली बीसीसीआई के अध्यक्ष बनने वाले हैं तो मुझे साल 2007 की बात याद आ गई जब हम साउथ अफ्रीका दौरे पर थे।' 12 साल पुराने इस किस्से का जिक्र करते सहवाग ने लिखा कि केपटाउन टेस्ट के दौरान मैं और वसीम जाफर जल्दी आउट हो गए थे। सचिन नंबर 4 पर बल्लेबाजी करते थे, लेकिन वो नहीं गए। तभी गांगुली को नंबर 4 पर बल्लेबाजी के लिए कहा गया। वो गांगुली की कमबैक सीरीज थी और उनपर दबाव था, लेकिन जिस तरह से उन्होंने बल्लेबाजी की और दबाव को झेला, वो सिर्फ गांगुली ही कर सकते थे।
अब दूसरी भविष्यवाणी का पूरा होना बाकी
41 साल के सहवाग ने लिखा, 'उस दिन हम सभी ड्रेसिंग रूम में सहमत थे कि अगर हमारे बीच कोई बीसीसीआई अध्यक्ष बन सकता है, तो वह दादा हैं। मैंने कहा कि वह बंगाल के मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं। एक भविष्यवाणी तो पूरी हो गई, और एक बाकी है।' गांगुली ने ही सहवाग को ओपनिंग करने के लिए कहा था। बता दें कि गांगुली की कप्तानी के दाैरान सहवाग ने मिडिल ऑर्डर का स्लाॅट छोड़ ओपनिंग करने की जिम्मेदारी संभाली थी। इसका जिक्र भी सहवाग ने ही किया था।
गांगुली से मिला सहवाग को साथ
इसके अलावा सहवाग ने बताया मेरे टॉप ऑर्डर में दादा की बड़ी भूमिका थी। इसकी शुरुआत उस समय हुई जब दादा ने मुझसे पारी शुरू करने के लिए पूछा। मेरा जवाब था, ''आप खुद ओपनिंग क्यों नहीं करते, सचिन भी ओपन कर सकते हैं।'' सहवाग ने आगे बताया, ''गांगुली ने साफ बात करते हुए कहा कि ओपनिंग स्लॉट खाली है। यदि तुम इस स्लॉट को भरते हो तो टीम में तुम्हारी जगह सुनिश्चित होगी। लेकिन यदि तुम मिडिल ऑर्डर में ही खेलना चाहते हो तो मुझे किसी के चोटिल होने का इंतजार करना होगा।'' सौरव ने सहवाग को सुझाव देते हुए कहा, ''मैं तुम्हें ओपनर के रूप में तीन या चार पारियां दूंगा। यदि तुम असफल होते हो तब भी तुम टीम में बने रहोगे। तुम्हें ड्रॉप करने से पहले मैं तुम्हें मिडिल ऑर्डर में एक मौका जरूर दूंगा।''
उन्होंने भारत की ओर से पहला एकदिवसीय मैच 1999 में व पहला टेस्ट मैच 2001 में खेला था। अप्रैल 2009 में सहवाग एकमात्र ऐसे भारतीय बने जिन्हें "विजडन लीडिंग क्रिकेटर ऑफ द ईयर" के खिताब से नवाजा गया। उन्होंने अगले वर्ष भी इस खिताब को फिर जीता।[