VIVO से करार नहीं तोड़ेगा BCCI
उल्लेखनीय है कि रविवार को हुई मीटिंग में बीसीसीआई ने चीनी कंपनी के साथ करार बरकरार रखने का फैसला किया है। आईपीएल के 13वें सीजन के लिये वीवो टाइटल स्पॉन्सर है जबकि पेटीएम, ड्रीम 11, बाईजूस और स्विगी में चीनी निवेश है। भारत और चीन के बीच मौजूदा तनाव को देखते हुए यह मुद्दा 10 सूत्री एजेंडे में सबसे अहम था।
ट्रोल हो रहे हैं गांगुली, ट्रेंडिंग में है BCCI शर्म करो
गौरतलब है कि बीसीसीआई को वीवो के साथ हुए इस करार के जरिये एक साल में 440 करोड़ रुपये मिलते हैं। ऐसे में बीसीसीआई की ओर से चीनी कंपनी के साथ संबंध न तोड़ने के फैसले के बाद से ही ट्विटर पर बीसीसीआई और सौरव गांगुली ट्रोल रहे हैं।
फैंस ने बीसीसीआई पर निशाना साधते हुए कहा कि बीसीसीआई शर्म करो। वहीं एक फैन ने कहा कि बीसीसीआई और आईपीएल को अभी भी इस फैसले पर सोचना चाहिए। एक फैन ने लिखा कि देश पहले होता है। बीसीसीआई सिर्फ पैसा कमाना चाहता है। सैनिकों को सम्मान दें और आईपीएल का बहिष्कार करें। वहीं सोशल मीडिया पर यह चाइनीज प्रीमियर लीग के नाम से भी ट्रेंड कर रहा है।
टाइटल स्पॉन्सर से भारत को ही है फायदा
आपको बता दें कि पिछले महीने लद्दाख में सीमा पर गलवान वैली में भारत और चीन की सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से देश भर में चीन विरोधी माहौल गर्म है। 4 दशक से ज्यादा समय में पहली बार भारत चीन सीमा (India-China) पर हुई हिंसा में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए। उसके बाद से चीनी उत्पादों के बहिष्कार की मांग की जा रही थी।
कुछ दिन पहले बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने कहा था कि आईपीएल जैसे भारतीय टूर्नामेंटों के चीनी कंपनियों द्वारा प्रायोजन से देश को ही फायदा हो रहा है। बीसीसीआई को वीवो से सालाना 440 करोड़ रुपये मिलते हैं जिसके साथ पांच साल का करार 2022 में खत्म होगा।