Shardul Thakur on his performance at Gaba says facing pace bowler is Easy rather than getting Seat in Local: नई दिल्ली। भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली गई बॉर्डर-गावस्कर सीरीज के आखिरी मैच में भारतीय टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले भारतीय टीम के तेज गेंदबाज शार्दुल ठाकुर (Shardul Thakur) ने भले ही इस दौरे पर तकनीकी रूप से डेब्यू नहीं किया था लेकिन यह उनके लिये पहला ही मैच था। साल 2018 में शार्दुल ठाकुर (Shardul Thakur) ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना डेब्यू किया था लेकिन 10 गेंद फेंकने के बाद ही वह चोटिल हो गये थे। हालांकि इसके बाद उन्हें भारतीय टीम में वापसी करने में 2 साल लग गये, लेकिन जब उन्होंने वापसी की तो न सिर्फ गेंद से बल्कि बल्ले से भी मैच जिताऊ पारी खेली।
गाबा में खेले गये इस मैच में शार्दुल ठाकुर (Shardul Thakur) ने 7 विकेट हासिल किये तो वहीं पहली पारी में वाशिंगटन सुंदर के साथ मिलकर 7वें विकेट लिये 123 रनों की रिकॉर्ड साझेदारी की और इस पारी में 67 रनों का योगदान दिया। भारत लौटने के बाद शार्दुल ठाकुर (Shardul Thakur) से जब उनकी बल्लेबाजी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने ऐसा जवाब दिया कि हंसी निकल जाये।
और पढ़ें: अब भारत से ही जीत सकते हैं अमेरिकी लॉटरी, 1 अरब का है इनाम
उन्होंने कहा,' ऑस्ट्रेलिया में तेज गेंदबाजों के खिलाफ बल्लेबाजी करना उतरना मुश्किल नहीं जितना कि लोकल ट्रेन में सीट पाना है। आपको यहां पर ज्यादा अच्छी टाइमिंग की जरूरत होती है।'
शार्दुल ठाकुर (Shardul Thakur) ने भले ही यह बात मजाक में कही लेकिन गाबा में खेली गई उनकी पारी में ऐसा लगा जैसे कि वो अपना दूसरा नहीं बल्कि 50वां टेस्ट मैच खेल रहे हैं और इस दौरान उन्होंने मिचेल स्टार्क, जोश हेजलवुड और पैट कमिंस जैसे दुनिया के बेस्ट गेंदबाजों के खिलाफ अच्छे शॉट खेलकर रन बनाने का काम किया। शार्दुल ने अपनी पारी का आगाज पैट कमिंस की गेंद पर छक्का लगाकर किया और अपना अर्धशतक पूरा करने के लिये हेजलवुड की गेंद पर छक्का लगाया।
लंबे समय के बाद भारतीय टीम में वापसी करने को लेकर शार्दुल ठाकुर (Shardul Thakur) ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, 'दुनिया के किसी भी खिलाड़ी को बाहर बैठना अच्छा नहीं लगेगा, मैं भी यही सोचता था कि मेरा वक्त कब आयेगा। मेरे पास दो ही विकल्प थे, पहला कि मैं दूसरे मौके का इंतजार करूं और दूसरा कि मेहनत करता रहूं और जब मौका मिले उसे दोनों हाथो से लपक लूं। मेरे पिता एक किसान हैं और हमें जिदंगी भर सिर्फ मेहनत करा ही सिखाया गया है। अगर एक साल अच्छी फसल नहीं होती तो इसका मतलब यह नहीं कि मैं खेती करना छोड़ दूंगा, ऐसा ही क्रिकेट में है और मैंने कोशिश करना जारी रखा।'
शार्दुल ने आगे कहा कि कोई भी खिलाड़ी बाहर नहीं बैठना चाहता है लेकिन आखिर में सिर्फ 11 ही खिलाड़ी खेल सकते हैं।
उन्होंने कहा,'मैं भी इंसान हूं, दो सीरीज तक बाहर बैठने के बाद मुझे भी निराश हुई। मैं बस साथी खिलाड़ियों को पानी पिला और उनका जोश बढ़ाकर खुद को बिजी रखता था, लेकिन एक बार इसको लेकर मैंने कोच शास्त्री से बात की और बताया कि मुझे कभी-कभी एक सीरीज के दौरान सिर्फ एक बार ही मौक मिलता है जिसके वजह से मुझे काफी दबाव महसूस होता है, मुझे क्या करना चाहिये। इस पर उन्होंने कहा कि अगर आप इसे दबाव की तरह देखेंगे तो आप दबाव महसूस करेंगे लेकिन अगर मौके की तरह देखेंगे तो दबाव होने के बावजूद दबाव नहीं महसूस होगा।'