भरोसा था कि विदाई मैच मिलेगा
अख्तर ने अपने यू-ट्यूब चैनल पर साफ कहा कि धोनी विदाई मैच के लिए भूखे नहीं थे, लेकिन बीसीसीआई को उनकी उपलब्धियों को देखते हुए ऐसा करना चाहिए था। अख्तर ने कहा, ''एक बहुत बड़ा नाम, एक बहुत बड़ा इंसान और एक बहुत बड़ा कप्तान जिसने साबित किया कि हिंदुस्तान बाहर जाकर जीत सकता है और होम सीरीज के अलावा भी जीत सकता है। मुझे पूरा यकीन था कि उन्हें फेयरवेल मैच मिलेगा। भारत के लिए अपनी सभी उपलब्धियों को पहचानने और श्रेय देने के लिए उनकी विदाई होनी चाहिए थी। ऐसा नहीं है कि वो सम्मान चाहते थे। लेकिन उन्होंने ड्रीम पूरे किए हैं।''
याद किया पुराना किस्सा
इसके अलावा अख्तर ने एक पुराना किस्सा भी याद किया, जब एमएस धोनी 22 साल के थे तो वह पाकिस्तान में आए थे। उन्होंने कहा, ''वह मेरे साथ बाइक पर बाहर जाना चाहते थे। लेकिन मैंने मना कर दिया था क्योंकि मैं उस समय थोड़ा शूटिंग में व्यस्त था। लेकिन ने फैसलाबाद मैच भी याद है मुझे। मैं धोनी को आउट करना चाह रहा था लेकिन वो मुझे चारों ओर मारने लगे। मैंने फिर माना कि ये बंदा निडर है। उसको डर नहीं था कि मुझे गेंद लगेगी।''
धोनी ने जो हासिल किया वो और कप्तान हासिल नहीं कर सकता
इसके अलावा अख्तर ने धोनी की कप्तानी की भी जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, ''धोनी ने कप्तान के रूप में जो हासिल किया, वह कोई और कप्तान कभी हासिल नहीं कर सकता। विश्व कप 2011 के फाइनल में उनके फिनिशिंग स्टाइल को भूलना मुश्किल है, जहां उन्होंने खेल समाप्त किया और मैदान से बाहर चले गए।'' अख्तर ने इस पल को धोनी की जिंदगी का सबसे बेहतरीन पल बताया। उन्होंने कहा कि 2011 तक उनका सफर किसी सपने की तरह रहा। उन्होंने कहा कि धोनी महिमा, श्रेय, मनुहार और प्रशंसा के पात्र हैं।