नई दिल्ली। चेतेश्वर पुजारा ने ऑस्ट्रेलिया में जिस तरह से बल्लेबाजी की है उससे एक बार फिर से यह साबित हो गया है कि टेस्ट क्रिकेट खेलने का क्लासिक तरीका आज भी उतना ही कारगार है जितना पहले था। हालांकि पुजारा की यह 'क्लास' ज्यादा आधुनिक पीढ़ी के बल्लेबाजों में नदारद है। इस वजह से पुजारा की इस पारी का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। पुजारा ने जिस संयम और तकनीक के साथ कंगारू आक्रमण की धार कुंद की वह युवा क्रिकेटरों के लिए बहुत बड़ी सीख है।
बेजोड़ बल्लेबाजी का स्कूल बन चुके पुजारा ने युवा भारतीय बल्लेबाज शुभम गिल को भी प्रभावित किया है। गिल ने पुजारा के प्रदर्शन से अभिभूत होते हुए कहा- 'पुजारा ने सीरीज में 1200 के करीब गेंदे खेली। किसी एक सीरीज में इतनी गेंदे खेलना बड़ी बात है। ये आपको प्रेरणा देता है। सीरीज में 500 या उससे ज्यादा रन बनाना एक अच्छा प्रदर्शन है लेकिन 1200 गेंदे खेलना एक ऐसी बात है जो युवाओं के लिए बैंचमार्क है।' गिल ने बताया कि पुजारा के संयम और जिस तरह से वे गेंदबाजो को धार को कमजोर करते है, वह बेमिसाल है। आज के समय के ज्यादातर बल्लेबाज केवल ज्यादा रन बनाने पर फोकस कर रहे है। बहुत ही कम ऐसे बल्लेबाज है जो पूरे दिन बल्लेबाजी करने पर ध्यान दे रहे हों।
शुभम गिल भारत के अगली पीढ़ी के सबसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों में शामिल हैं। फिलहाल रणजी ट्रॉफी खेल रहे गिल ने बंगाल के खिलाफ मैच में 119 गेंदों पर 91 रन बनाए। पंजाब का यह खिलाड़ी अपने आउट होने के तरीकों से खुश नहीं है। ऐसे में उनके पास पुजारा के रूप में बहुत बड़ी प्रेरणा है। अपनी बल्लेबाजी पर बात करते हुए गिल ने कहा, 'मैं जिस तरह से बल्लेबाज कर रहा हूं उससे मैं काफी खुश हूं। लेकिन जिस तरह से मैं आउट हो रहा हूं उस पर मुझे काम करना है। टेस्ट मैचों में आपको सेशन दर सेशन बल्लेबाजी करनी होती है। कई बार गेंदबाज अच्छी गेंदे लगातार फेंकता है और बाद में एक समय ऐसा भी आता है जब आप रन बनाते हैं।'