नई दिल्ली। मंगलौर, कर्नाटक में 3मार्च 1991 को पैदा हुए सिनन अब्दुल खादिर की उम्र जब 14-15 साल की थी तो क्रिकेट के प्रति उनके भीतर एक आकर्षण पैदा हुआ। वह क्रिकेट खेलने लगे। लेकिन दसवीं क्लास तक पहुंचने के बाद भी उनके भीतर किसी तरह की कोई गंभीरता नहीं थी। जीवन के इस मोड़ पर उनकी मुलाकात केएल राहुल और करुण नायर से हुई।
ये दोनों क्रिकेट प्रति बेहद गंभीर थे और इनका सपना टीम इंडिया के लिए खेलना था। जो बाद में पूरा हुआ। इन दोनों ने ही सनिन खडीर के मन में क्रिकेट के प्रति गंभीरता पैदा की। समय गुजरा और खडीर एक बेहतरीन लेग स्पिनर के रूप में जाने जाने लगे। लेकिन इस समय ने खडीर को यह भी समझा दिया कि उनका चयन कर्नाटक टीम में होना भी कठिन है। हालांकि वह कर्नाटक की तरफ से अंडर 19 खेल चुके थे। बावजूद इसके उन्हें आगे के रास्ते बंद नजर आए।
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उन्होंने फैसला किया कि वह मिजोरम के लिए खेलेंगे। संयोग से 2019 में ही मिजोरम ने रणजी में डेब्यू किया। यह सिनन अब्दुल खादिर का भी डेब्यू ही था। सिनन अब्दुल खादिर ने शानदार गेंदबाजी की और मिजोरम की तरफ से 22विकेट लिए। उन्होंने सात मैचों में यह विकेट लिए। मिजोरम के लिए खेलते हुए खादिर यह भी जानते हैं कि उनके लिए टीम इंडिया में खेलना आसान नहीं है।
वह कहते हैं, मिजोरम में भी कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो निराश होकर क्रिकेट छोड़ देते हैं। मैं उनसे सिर्फ यही कहना चाहता हूं कि अगर आप नेशनल टीम में नहीं खेल पाते तो आपको घरेलू क्रिकेट में मौके तलाशने चाहिए। आज भारत का घरेलू क्रिकेट भी खासा आकर्षक है। करुण नायर और केएल राहुल को अपना रोल मॉड्ल मानने वाले खादिर गेंदबाजी आल राउंडर हैं।
उन्होंने 2018-19 में सैयद मुश्ताक अली ट्राफी में डेब्यू किया और सात फर्स्ट क्लास मैचों की 13 पारियों में 133रन भी बना चुके हैं। उनका अधिकतम स्कोर 30रन है। खादिर का एक ही सपना है कि मिजोरम में क्रिकेट को लोकप्रिय बनाया जाए और जो खिलाड़ी बीच में ही क्रिकेट को छोड़ देते हैं उन्हें यह समझाया जाए कि नेशनल टीम के अलावा और क्या विकल्प हो सकते हैं। मैं उन्हें यह समझाना चाहता हूं कि जब मैं नेशनल टीम में आने की समाप्त हो चुकी उम्मीदों के बावजूद क्रिकेट खेल सकता हूं तो वे क्यों नहीं।