10 दिन किसी फिल्मी घटनाक्रम से कम नहीं रहे-
शाकिब के लिए 10 दिन किसी फिल्मी घटनाक्रम से कम नहीं रहे हैं। उनके साथ पूरा बांग्लादेश क्रिकेट सिस्टम भी इन्हीं दिनों उतार-चढ़ाव से जूझता रहा जिसकी अंतिम परिणति आखिरकार शाकिब के दो साल के बैन के साथ समाप्त हुई। शाकिब के साथ पिछले 10 दिनों में हुए छह घटनाक्रमों की शुरुआत 19 अक्टूबर से होती है जब उन्होंने बांग्लादेश प्रीमियर लीग के एक लेग स्पिनर जरूर खिलाने के नियम की धज्जियां उड़ाई थी। इस नियम के मुताबिक बांग्लादेश प्रीमियर लीग की हर पारी में एक लेगस्पिनर को चार ओवर फेंकना होगा। इस पर शाकिब ने कहा था कि लेग स्पिनर को पहले प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलना चाहिए और वहां से आत्मविश्वास हासिल करके बीपीएल जैसी लीग खेलनी चाहिए। क्योंकि बीपीएल ऐसी लीग नहीं है जहां पर आप क्रिकेटर्स को बनाते हैं।
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21 अक्टूबर, हड़ताल का चौंकाने वाला फैसला-
21 अक्टूबर को शाकिब अल हसन, तमीम इकबाल और मुश्फीकुर रहीम सोमवार सुबह 11 बजे बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (बीसीबी) मुख्यालय पर पहुंचे जहां उन्होंने 11 सूत्री अपनी मांगें बोर्ड के सामने रखीं और हड़ताल का ऐलान किया। राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ियों ने किसी भी क्रिकेट गतिविधि में भाग लेने से इनकार कर दिया, जब तक कि वेतन में बढ़ोतरी सहित उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती। खिलाड़ियों द्वारा उठाए गए प्रमुख बिंदुओं में से एक प्रथम श्रेणी स्तर पर खेलने वालों के लिए बेहतर वेतन था।
22 अक्टूबर को तोड़ा बीसीबी का करार-
शाकिब अल हसन ने दूरसंचार कंपनी 'ग्रामिणफोन' के साथ एक करार पर हस्ताक्षर किए हैं जो केंद्रीय अनुबंध नियम का उल्लंघन है। बांग्लादेश की स्थानीय टेलीकॉम कंपनी 'ग्रामीणफोन' ने 22 अक्टूबर को घोषणा की थी कि देश का सर्वश्रेष्ठ ऑल राउंडर उनका ब्रांड एंबेसडर बन गया है। जबकि बीसीबी अध्यक्ष नज्मुल हसन के अनुसार यह केंद्रीय अनुबंध का उल्लंघन है। उन्होंने बंगाली दैनिक 'कालेर कांठो' से बात करते हुए कहा कि वह ऐसा करार नहीं कर सकते जो हमारे अनुबंध में स्पष्ट है। हालांकि बाद में बीसीबी सीईओ निजामुद्दीन चौधरी ने बंगाली अखबार 'प्रोथमो आलो' से कहा कि यह बोर्ड का अंदरूनी मामला है और इसलिए शाकिब के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत नहीं है। उन्हें हालांकि इसका जवाब देना होगा कि उन्होंने यह प्रायोजन अनुबंध क्यों किया जो कि केंद्रीय अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन है।
23 अक्टूबर को हड़ताल समाप्त-
आने वाले भारत दौरे को देखते हुए बोर्ड ने खिलाड़ियों की मांग भी बीते बुधवार यानी 23 अक्टूबर को मान ली थी जिसके बाद हड़ताल समाप्त कर दी गई और भारत दौरे के लिए टीम का आना भी सुनिश्चित हो गया। "बीसीबी (बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड) के अध्यक्ष और निदेशक ने हमारी मांग को सुना और उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि वे उन्हें जल्द से जल्द पूरा करेंगे।" शाकिब ने कहा। शाकिब ने कहा, "उनके (बीसीबी के) आश्वासन के आधार पर हमारे प्रथम श्रेणी के खिलाड़ी शनिवार से खेलना शुरू करेंगे और हमारी राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ी 25 अक्टूबर से शिविर (भारत दौरे के लिए) में शामिल होंगे।"
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28 अक्टूबर, प्रैक्टिस शिविर से शाकिब गायब-
हालांकि हड़ताल समाप्त हो गई लेकिन शाकिब फिर भी भारत दौरे से पहले लगाए गए प्रैक्टिस सेशन से नदारद रहे जिसके चलते उनके भारत दौरे पर ना आने की सुगबुगाहटें जोरों पर आ गई। शाकिब इस सेशन में तीन दिन के दौरान दो दिन गायब रहे। इसके बाद बीसीबी अध्यक्ष हसन ने कहा था, "मैंने शाकिब बात करने के लिए कहा है। अब अगर वह भी (भारत दौरे से) बाहर निकलता है, तो ऐसे समय में मुझे एक कप्तान कहां से मिल सकता है? मुझे पूरी टीम को ही बदलना पड़ सकता है। मैं इन खिलाड़ियों के साथ कर भी क्या सकता हूं"। ये वो समय था जब खबरें आनी शुरू हो गई कि शाकिब समेत कुछ अन्य प्रमुख खिलाड़ियों के ना जाने की स्थिति में बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड टी-20 सीरीज के लिए अपनी टीम की घोषणा दोबारा कर सकता है।
29 अक्टूबर, शाकिब पर दो साल का बैन-
इसके बाद बांग्लादेश क्रिकेट और शाकिब को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब उन पर दो साल का बैन लगा। बांग्लादेश के ऑलराउंडर शाकिब अल हसन पर आईसीसी आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए दो साल का लंबा प्रतिबंध लगा दिया गया। उन्होंने हाल के वर्षों में तीन मौकों पर सटोरियों के द्वारा उनसे अवैध तरीकों से संपर्क करने के बाद भी आईसीसी की एंटी करप्शन यूनिट को सूचना नहीं देने के आरोपों को स्वीकार किया है। बताया गया है कि शाकिब 26 अप्रैल 2018 को सनराइजर्स हैदराबाद और किंग्स इलेवन पंजाब के मैच के दौरान सटोरिए द्वारा संपर्क किया गया था। उसके 2017 और 2018 में क्रमशः बांग्लादेश प्रीमियर लीग और श्रीलंका-जिम्बाब्वे के साथ हुई त्रिकोणीय सीरीज में भी शाकिब से सट्टेबाज ने संपर्क किया।
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