नई दिल्ली। साैरव गांगुली जब 23 अक्टूबर को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(बीसीसीआई) के नए अध्यक्ष आधिकारिक ताैर पर घोषित कर दिए जाएंगे तो इसके साथ ही प्रशासकों की समिति (सीओए) की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाया है कि बीसीसीआई की पूरी टीम बनते ही सीओए अपना काम बंद कर देगा। न्यायमूर्ति एसए बोब्डे और एल नागेश्वर राव की पीठ सीओए का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता पराग त्रिपाठी के निवेदन पर गौर करते हुए निर्देश दिया कि प्रशासकों की समिति और अन्य अधिकारियों के खिलाफ क्रिकेट संगठन में किए गए किसी भी कार्य के लिए बीसीसीआई द्वारा कोई कदम नहीं उठाया जाएगा और ऐसे किसी भी कदम के लिए पूर्व स्वीकृति की जरूरत पड़ेगी।
पीठ ने सीओए को मंगलवार से सात दिन के भीतर अपने स्वीकृत खाते तमिलनाडु सोसायटी के पंजीयक को सौंपने को कहा, जिसके साथ बीसीसीआई पंजीकृत है। कोर्ट ने साथ ही स्पष्ट किया कि सीओए द्वारा कानून के अंतर्गत सौंपे गए खातों को पंजीयक देखेगा. पीठ ने कहा कि बीसीसीआई के खातों को रिकॉर्ड में लेकर हम खर्चों को प्रमाणित नहीं कर रहे हैं। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 27 नवंबर तय की है।
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बोर्ड के मौजूदा कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह स्वागत योग्य कदम है, क्योंकि यह बीसीसीआई को सीओए के फैसलों के आधार पर किसी भी तरह के सरकारी दखल से रोकेगी। अदालत ने साफ कर दिया है कि कुछ अधिकारियों द्वारा जो गैरजरूरी बाधाएं उत्पन्न की गई थीं वो अब खत्म हो जाएंगी। उन्होंने साथ ही यह भी साफ कर दिया है कि सीओए ने जो गलतियां की होंगी, अधिकारियों ने जो नियमों का उल्लंघन किया वो नजरअंदाज नहीं किया जाएगा लेकिन सुप्रीम कोर्ट को इस कार्यवाही के लिए छुट्टी चाहिए होगी।