नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष सौरव गांगुली ने हाल ही में खत्म हुई टी20 विश्वकप 2021 में भारतीय टीम के प्रदर्शन को लेकर अपनी चुप्पी तोड़ी है। सौरव गांगुली ने यूएई में खेले गये टी20 विश्वकप में भारतीय टीम के प्रदर्शन को पिछले 4-5 साल में किया गया अब तक सबसे खराब प्रदर्शन बताया है। भारतीय क्रिकेट टीम इस टूर्नामेंट में खिताब जीतने के प्रबल दावेदारों में उतरी थी, लेकिन पहले दो मैचों में खराब प्रदर्शन के बाद वो लीग स्टेज से ही बाहर हो गई। साल 2012 के बाद से यह पहला मौका था जब भारतीय टीम टी20 विश्वकप के लीग स्टेज से बाहर हो गई है।
टीम की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने के बाद विराट कोहली की टीम को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, लेकिन बीसीसीआई अध्यक्ष ने इसको लेकर कुछ भी नहीं कहा था। हालांकि अब भारतीय टीम के अध्यक्ष ने इस पूरे मामले पर चुप्पी तोड़ी है और टीम के प्रदर्शन को बहुत खराब बताया है।
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भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान का यह बयान उस सवाल के जवाब पर दिया है जब उनसे पूछा गया कि द्विपक्षीय सीरीज में शानदार प्रदर्शन करने के बावजूद भारतीय टीम टी20 विश्वकप के लीग स्टेज में भी पहुंच पाने में क्यों नाकाम रही।
सीनियर पत्रकार बोरिया मजूमदार के शो बैकस्टेज विद बोरिया में बात करते हुए गांगुली ने कहा,'सच कहूं तो साल 2017 और 2019 में भारतीय टीम काफी शानदार थी। 2017 के चैम्पियन्स ट्रॉफी में हम पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में हारे थे और मैं उस मैच में कॉमेंटेटर था। फिर 2019 का विश्वकप आया जहां पर हमने लीग स्टेज पर शानदार प्रदर्शन किया और सभी को हराते हुए सेमीफाइनल मैच में पहुंचे थे लेकिन सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड से हार गये। एक बुरा दिन आपका पूरा कैंपेन खराब कर देता है और दो महीने की मेहनत पर पानी फिर गया।'
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सौरव गांगुली ने आगे बात करते हुए कहा कि मैंं विश्वकप में टीम के प्रदर्शन से काफी निराश हूं। मुझे लगता है कि यह भारतीय टीम के पिछले 4-5 सालों में किया गया सबसे खराब प्रदर्शन है। गांगुली ने इस दौरान किसी एक खिलाड़ी पर दोष नहीं देते हुए यह नहीं बताया कि भारतीय टीम से कहां गलती हो गई है लेकिन उन्होंने कहा कि कई बार टीमें मेगा इवेंट में अच्छा प्रदर्शन कर पाने में नाकाम रहती हैं। गांगुली के हिसाब से टीम ने अपनी क्षमता के हिसाब से सिर्फ 15 प्रतिशत मेहनत से ही काम किया है।
उन्होंने कहा,'मुझे नहीं पता कि क्या कारण था लेकिन ऐसा लगा कि जैसे वो पूरी आजादी के साथ विश्वकप में नहीं खेले थे। कई बार बड़े टूर्नामेंट में ऐसा हो जाता है, मुझे लगा कि यह टीम बस अपनी 15 प्रतिशत क्षमता के साथ खेली है। और कई बार आप किसी एक व्यक्ति पर उंगली नहीं उठा सकते।'