नई दिल्लीः भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने इंग्लैंड के खिलाफ 2002 में हुए फाइनल से जुड़ा एक किस्सा याद किया है जहां पर वीरेंद्र सहवाग ने उनको कप्तानी का एक महत्वपूर्ण पाठ सिखाया था। उस समय भारत को जीत के लिए 326 रनों का विशाल लक्ष्य मिला था और सौरव गांगुली के साथ वीरेंद्र सहवाग ने दमदार शुरुआत दी थी लेकिन बीच के ओवरों में भारत ने तेजी से विकेट भी खो दिए थे।
तब युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ ने मैच जिताने वाली भागीदारी की थी और वे दोनों उस समय के युवा इस जीत के सूत्रधार बने थे। लेकिन गांगुली ने सहवाग को उस यादगार फाइनल मुकाबले में उनको एक सही पाठ सिखाने का क्रेडिट दिया है। गांगुली ने यूट्यूब पर एक चैनल पर बात करते हुए कहा, "हम 325 रनों का पीछा फाइनल में कर रहे थे। जब मैं ओपन के लिए जा रहा था तो मैं काफी निराश और परेशान था लेकिन सहवाग ने मुझसे कहा कि हम जीतने जा रहे हैं। हमने अच्छी शुरुआत की थी और मैंने सहवाग से कहा कि हमने नई नई गेंद का सामना कर लिया है और अब उनको अपना विकेट नहीं गंवाकर सिंगल पर फोकस करना चाहिए।"
सौरव गांगुली ने बताया भारत की मौजूदा टीम में अपने फेवरेट खिलाड़ी का नाम
गांगुली आगे बताते हैं कि जैसे रॉनी ईरानी अपना पहला ओवर फेंकने आए तो सहवाग ने पहली ही गेंद को चौके के लिए भेज दिया। तो मैंने उनसे कहा कि अब हमारे पास बाउंड्री है और अब एक सिंगल पर फोकस करें। लेकिन सहवाग ने मेरी बात नहीं सुनी और दूसरी बॉल पर भी चौका कर दिया। यहां तक कि तीसरी बॉल पर भी चौका था।
गांगुली आगे कहते हैं, "मैं बहुत गुस्सा हो गया। उसके बाद उन्होंने पांचवी गेंद पर फिर चौका मार दिया। गांगुली ने कहा कि, मुझे समझ में आ गया कि यही सहवाग का नेचुरल गेम है और इसको रोकने का कोई मतलब नहीं है। गांगुली सहवाग की बल्लेबाजी के उस पल को याद करते हुए कहते हैं कि एक कप्तान के तौर पर मैंने सीखा कि आपको दूसरे खिलाड़ी के नेचुरल गेम पर हिसाब से खुद की सोच को एडजस्ट करना पड़ता है।