सौरव गांगुली-
गांगुली से पहले भारतीय क्रिकेट टीम काफी रक्षात्मक क्रिकेट खेला करती थी और गांगुली के आने के बाद उनकी कप्तानी की तुलना पाकिस्तान के पूर्व महानतम कप्तानों में से एक इमरान खान से हुई। क्रिकेट में जब हम आंकड़ों की बात करते हैं तो वे पूरी तरह से सच्चाई नहीं बताते हैं क्योंकि अलग-अलग दौर में अलग ब्रांड का क्रिकेट खेला जाता है और अब T20 फॉर्मेट के आने के बाद समीकरण बहुत तेजी से बदले हैं। सौरव गांगुली के समय में T20 क्रिकेट नहीं हुआ करता था और उन्होंने अपने अधिकांश मैच कप्तान के तौर पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय और टेस्ट मैच ही खेले हैं। जब सौरव गांगुली के ओवरऑल भारतीय कप्तान रिकॉर्ड की बात करते हैं तो उन्होंने 196 मुकाबलों में कप्तानी की है जिसमें 97 मुकाबलों में जीतने में वे कामयाब रहे जबकि 79 मैच भारत उनकी कप्तानी में हरा। यह एक ओवरऑल रिकॉर्ड है जिसमें टेस्ट मैच भी शामिल है ऐसे में 15 मुकाबले ड्रा भी रहे।
खास बात यह है कि सौरव गांगुली की कमान में भारत ने एक भी मैच टाई नहीं करया जबकि महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली दोनों के ही नाम काफी टाई मुकाबले है। गांगुली का जीत का प्रतिशत 49.48 रहा जो धोनी और विराट कोहली दोनों से काफी कम है। गांगुली जब कप्तान थे तब आईसीसी का केवल एक ही विश्वकप होता था जो कि 50 ओवर के क्रिकेट का था और भारत गांगुली की कप्तानी में यह नहीं जीत पाया। लेकिन दादा के नाम एक आईसीसी ट्रॉफी जरूर है जो 2002 में भारत ने संयुक्त विजेता के तौर पर जीती थी।
रिटायर होने के बाद से एबी डिविलियर्स कर रहे हैं खूब कमाई, जानें कितनी है कुल संपत्ति और सैलरी
महेंद्र सिंह धोनी-
अब हम बात करते हैं महेंद्र सिंह धोनी की जिन्होंने भारत के लिए कप्तान के तौर पर सबसे ज्यादा 332 मुकाबले खेले। इसमें उन्होंने 178 मैचों में जीत हासिल की 120 मैचों में हार मिली और गांगुली की तरह उनके भी 15 मैच ड्रॉ हुए लेकिन यहां पर छह मैच टाई भी हुए और कुल मिलाकर धोनी का जीत प्रतिशत 53.1 प्रतिशत रहा जो कि इतने अधिक मैचों में कप्तानी के बाद बहुत अच्छा माना जाएगा। धोनी के कप्तानी काल की सबसे बड़ी खास बात उनके नाम दर्ज आईसीसी की तीनों ट्रॉफियां हैं। तब वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप नहीं होती थी और भारत ने धोनी की कमान में 2008 में टी-20 विश्व कप जीता फिर 2011 में 50 ओवर का विश्व कप विजेता बना। इन दो विश्व कप के अलावा एक चैंपियंस ट्रॉफी भी धोनी के नाम रही।
धोनी ने अपने अधिकांश खिलाड़ी सौरव गांगुली की टीम से लिए थे। सौरव गांगुली ने जिन खिलाड़ियों और कल्चर को तैयार किया उन्होंने आगे महेंद्र सिंह धोनी के लिए काफी अच्छा काम किया और भारत में जो आक्रमक क्रिकेट का ब्रांड स्टार्ट हुआ था वह धोनी की कप्तानी में भी बखूबी जारी रहा। हम कह सकते हैं कि गांगुली ने भारतीय टीम के लिए आधार तैयार किया जिस पर धोनी ने एक बड़ी इमारत खड़ी की।
विराट कोहली-
गांगुली, धोनी की विरासत को वैसे तो विराट कोहली बखूबी आगे बढ़ा रहे और इस समय भारतीय क्रिकेट टीम अपने इतिहास का सबसे बेखौफ क्रिकेट खेल रही है। यह टीम स्टीव वॉ, रिकी पोंटिंग की आस्ट्रेलिया की तरह से खेलती है जो की पूरी तरह फीयरलैस क्रिकेट ब्रांड है। विराट कोहली की सबसे बड़ी खासियत खुद उनकी आक्रामकता है और हार ना मानने का जज्बा है जो कि मैदान पर उनकी बॉडी लैंग्वेज में भी दिखाई देता है और बैटिंग करते हुए भी ऐसा नजर आता है जिसका असर उनकी टीम के बाकी साथियों पर भी पड़ता है। हालांकि विराट कोहली अभी तक एक बार भी आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीत पाए हैं और यह उनकी कप्तानी के ऊपर सबसे बड़ा सवाल भी लगाता है। भारत आईसीसी मुकाबलों में अच्छा प्रदर्शन करता है लेकिन नॉक आउट स्टेज में आने के बाद एक खराब मैच टीम इंडिया को प्रतियोगिता से बाहर कर देता है। ऐसे में भारत को कोहली की कप्तानी में निश्चित तौर पर कुछ आईसीसी खिताब की दरकार है।
जहां तक द्विपक्षीय सीरीज की बात है तो वहां कोहली काफी मैच जीत जाते हैं क्योंकि उनके पास बहुत ही अच्छी क्रिकेट टीम है। भारत ने उनकी कप्तानी में कई ओवरसीज टेस्ट भी जीते हैं जिसका सबसे बड़ा कारण भारत के पास उसके इतिहास का सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजी अटैक है। विराट कोहली ने अभी तक 200 क्रिकेट मैचों में भारत की कप्तानी की है जिसमें वे 128 मुकाबले जीतने में कामयाब रहे हैं हार केवल 55 मैचों में मिली है 10 मैच ड्रा हुए हैं और टाई मैचों की संख्या 3 है। अगर हम जीत के परसेंटेज की बात करें तो यह 64 है जो कि काफी शानदार संख्या है।
फोटो के जरिए सौरव गांगुली ने जताई दिल की ख्वाहिश, अगले 3 जन्मों तक करना चाहते हैं ये काम
कौन है बेस्ट कप्तान-
प्रतिशत में विराट कोहली सबसे आगे है लेकिन वे अभी भी कप्तान है और उनको आगे कई मैच खेलने है जिसके बाद ही उनकी कप्तानी का सही आकलन संभव होगा। फिलहाल उनको एक आईसीसी खिताब की अदद दरकार है और विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप में अगले महीने ही इसको पूरा करने का सुनहरा अवसर भी है। धोनी की कमान में भारत ने वैश्विक स्तर पर अपना सर्वाधिक प्रभाव बनाया और सभी आईसीसी खिताब जीते। गांगुली का जीत प्रतिशत सबसे कम होने के बावजूद इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि सबसे हाई क्वालिटी का क्रिकेट दादा के ही दौर में था। उनको भारतीय क्रिकेट में आधुनिक फीयरलैस क्रिकेट का निर्माता माना जाएगा। उनकी अधिकांश उर्जा टीम को बनाने और प्रतिभा को तराशने पर रही जिसका नतीजा धोनी को अपनी कमान में मिला। कोहली को एक रेडीमेड टाइप की टीम मिली जिसके पास भारत के इतिहास का बेस्ट पेस अटैक था। गांगुली और धोनी विशुद्ध कप्तानी कौशल में कोहली से आगे निकल जाते हैं। जब बात धोनी बनाम गांगुली की आती है यहां मुकाबला टक्कर का है लेकिन तीन आईसीसी ट्रॉफियों के चलते धोनी थोड़ा आगे निकल जाते हैं।