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रिकाॅर्ड्स देते हैं गांगुली की काबिलियत की गवाही, चैपल ने किया करियर बर्बाद, जानें खास किस्से

स्पोर्ट्स डेस्क(नोएडा) साैरव गांगुली भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(बीसीसीआई) के 39वें अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर के छोटे भाई अरुण धूमल कोषाध्यक्ष होंगे जबकि केरल के जयेश जार्ज संयुक्त सचिव होंगे। गांगुली का कार्यकाल नौ महीने का ही होगा और उन्हें जुलाई में पद छोड़ना होगा क्योंकि नये संविधान के प्रावधानों के तहत छह साल के कार्यकाल के बाद विश्राम की अवधि अनिवार्य है। इसी के साथ 33 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासकों की समिति (सीओए) भी भंग हो गई। गांगुली निर्विरोध चुने गए हैं। गांगुली अगर आज अध्यक्ष चुने गए हैं तो वो उनकी काबिलियत रही। एक बीसीसीआई अध्यक्ष की खूबियां यहीं हैं जो हर चीज का आकलन करके फैसला ले, साथ ही इस खेल की नस-नस से वाकिफ हो। गांगुली खुद भी भारतीय टीम के महान कप्तान रह चुके हैं। ऐसे में उन्हें अच्छे से पता है कि टीम में अभी क्या खामियां हैं और क्या बदलाव लाने की आवश्यकता है।

रिकाॅर्ड्स देते हैं गांगुली की काबिलियत की गवाही

रिकाॅर्ड्स देते हैं गांगुली की काबिलियत की गवाही

47 साल के गांगुली को 'बंगाल टाइगर' भी कहा जाता है। कोलकाता में जन्मे इस दिग्गज को दादा भी कहा जाता है। यानि कि इनके दो नाम हैं, एक 'बंगाल टाइगर' तो दूसरा 'दादा'। इससे झलकता है कि गांगुली में तो कुछ बात रही है। गांगुली ने भारतीय टीम के लिए 2000 से लेकर 2005 तक कप्तानी संभाली। इस दाैरान उनकी दादागिरी विपक्षी टीमों पर खूब चलती थी। उनका आखिरी फैसला पूरी टीम अनुशासन के साथ स्वीकार करती थी। अपनी कप्तानी दाैरान गांगुली ने जो उस समय रिकाॅर्ड्स स्थापित किए हैं वो दर्शाते हैं कि वो कितने महान कप्तान रहे हैं।

कप्तानी दाैरान जीतना सिखाया

कप्तानी दाैरान जीतना सिखाया

गांगुली ने भारत के लिए 49 टेस्ट मैचों में कप्तानी संभाली है, जिसमें टीम को 21 बार जीती मिली है जबकि 13 में हार मिली। 15 टेस्ट ड्रा रहे। उनकी कप्तानी से पहले जीत का इतना अच्छा अनुपात किसी और कप्तान की कप्तानी में नहीं था। आज बेशक भारत के सबसे अच्छे टेस्ट कप्तानों में धोनी और विराट कोहली का नाम आगे लिखा जा रहा है लेकिन सौरव गांगुली पहले ऐसे कप्तान रहे हैं जिसने टेस्ट कप्तान के रूप में सबसे पहले भारतीय क्रिकेट टीम को जीतना सिखाया था।

गांगुली ने 147 वनडे मैच में भारत की कप्तानी की और इसमें से वह 76 जीते और इनकी कप्तानी में टीम का जीत औसत कुछ 54 प्रतिशत रहा था। सौरव ने अपनी कप्तानी में भारतीय टीम को 2003 वर्ल्ड कप के फाइनल तक पहुंचाया था।

गांगुली के नेतृत्व में पाकिस्तान को उसके घर चटाई धूल

गांगुली के नेतृत्व में पाकिस्तान को उसके घर चटाई धूल

भला साल 2004 का वो समय काैन भूल सकता है जब गांगुली की कमान में भारतीय टीम पाकिस्तान दाैरे पर गई थी, जहां वनडे और टेस्ट सीरीज जीती थी। तब टीम इंडिया 1989 के बाद पहली बार पाकिस्तान दौरे पर गई थी। 1999 में हुए कारगिल युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली द्विपक्षीय सीरीज थी। टीम इंडिया पांच वनडे की सीरीज 3-2 से और तीन टेस्ट की सीरीज 2-1 से जीती थी। गांगुली को जब बीसीसीआई अध्यक्ष चुने जाने का ऐलान किया गया था तो पाकिस्तान के ही पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने भी दादा की जमकर तारीफ की थी। गांगुली को लेकर अख्तर ने कहा था कि वो मुझे उस समय भारत के सबसे बड़े कप्तान दिखे। गांगुली वो शख्स था जिसने टीम को सिखाया कि कैसे दूसरी टीम को उसके घर में हराया जा सकता है। अख्तर ने कभी नहीं सोचा था कि गांगुली वाली टीम उनको उनके घर में ही हरा पाएगी।

लगाते थे लंबे छक्के

लगाते थे लंबे छक्के

गांगुली जब छक्के लगाते थे तो दुनिया उन छक्कों को देखते रहते जाते थे। आगे निकलकर जब गांगुली बॉल को मारते थे तो बहुत ही कम गेंद ऐसी होती थी को ग्राउंड में रुक पाती थीं। गांगुली ने अपने करियर में कुल 190 छक्के लगाए हैं। आज छक्के लगाने के मामले में गांगुली टॉप 10 खिलाड़ियों में शामिल हैं। इस तरह से सौरव गांगुली के रिकॉर्ड को देखकर समझा जा सकता है कि यह खिलाड़ी वाकई कितना महान खिलाड़ी रहा है। इस खिलाड़ी ने सही अर्थों में भारतीय टीम को जीतना सिखाया है।

ग्रेग चैपल ने किया करियर तबाह

ग्रेग चैपल ने किया करियर तबाह

कहा जाता है कि गांगुली का करियर तबाह करने में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के बेहतरीन पूर्व ऑलराउंडर खिलाड़ी माने जाने वाले ग्रेग चैपल का बड़ा हाथ रहा। गांगुली जब कप्तान थे तो वो कई बार फैसले खुद लेते थे जिससे टीम को फायदा मिलता था, लेकिन चैपल तानाशाह बनते जा रहे थे। ऐसे में गांगुली और चैपल के बीच खूब लड़ाई हुई । चैपल को 2005 में दो साल के लिए भारतीय क्रिकेट टीम का कोच बनाया गया। दोनों ही अपने समय के बेहतर खिलाड़ी रहे, लेकिन जब ड्रेसिंग रूम शेयर करने की बात आई, तो गांगुली-चैपल के बीच खटास दिखी। उस वक्त भारतीय टीम जिंबाब्वे दौरे पर गई थी। पहला टेस्ट खेला जाना था, कि उससे ठीक एक दिन पहले कप्तान सौरव गांगुली ने कोच ग्रेग चैपल से पूछा कि, युवराज और कैफ में किसको टीम में खिलाया जाए। चैपल ने कहा कि दोनो खेलेंगे और तुम बाहर रहोगे। चैपल की यह बात सुन गांगुली काफी हैरान रह गए थे। उन्होंने सीरीज छोड़ने का मन बना लिया था। तभी चैपल ने बीसीसीआई को एक लेटर भेजा कि, गांगुली कप्तानी के लिए न ही शारीरिक और न मानसिक रूप से फिट है। यह लेटर मीडिया में लीक होते ही काफी बवाल हुआ। इस विवाद के बाद गांगुली ने कप्तानी छोड़ दी फिर 2008 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास भी ले लिया। वहीं चैपल की तानाशाही भी ज्यादा नहीं चली। उन्हें भी 2007 में हटा दिया गया जिसके बाद गैरी कर्स्टन की देखरेख में भारत ने 2011 विश्व कप जीता।

ऐसा है क्रिकेट करियर

ऐसा है क्रिकेट करियर

गांगुली ने अपने कैरियर की शुरुआत से स्कूल की और राज्य स्तरीय टीम में खेलते हुए की। वर्तमान में वह एकदिवसीय मैच में सर्वाधिक रन बनाने वाले दुनिया के 9वें खिलाड़ी हैं, जबकि भारत के तीसरे बल्लेबाज हैं। गांगुली के नाम 311 वनडे में 22 शतक व 72 अर्धशतक के साथ 11,363 रन दर्ज हैं। कई क्षेत्रीय टूर्नामेंटों जैसे रणजी ट्राफी, दलीप ट्राफी आदि में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद गांगुली को राष्ट्रीय टीम में इंग्लैंड के खिलाफ 20 जुलाई 1996 को खेलने का माैका मिला। उन्होंने पहले टेस्ट में ही 131 रन बनाकर टीम में अपनी जगह बना कर ली। गांगुली ने भारत के लिए खेले 113 टेस्ट मैचों में 16 शतक, 1 दोहरा शतक व 35 अर्धशतक के साथ 7212 रन बनाए हैं।

Story first published: Wednesday, October 23, 2019, 15:34 [IST]
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