नई दिल्ली: भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने बुधवार को बीसीसीआई के 39 वें अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाल लिया है। इसी के साथ गांगुली दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख नाम बन गए हैं।
गांगुली को आधिकारिक तौर पर बीसीसीआई की जनरल बॉडी मीटिंग यानी एजीएम में अगले नौ महीनों के लिए भारतीय क्रिकेट की कमान संभालने का काम सौंपा गया। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) के 33 महीने के कार्यकाल की भी समाप्ति हो गई।
विजय हजारे ट्रॉफी से 'अनलकी' पंजाब बाहर, BCCI के नियम पर उठाया युवराज-हरभजन ने सवाल
गांगुली ने बोर्ड के निर्वाचन अधिकारी एन गोपालस्वामी से तीन निवर्तमान सीओए सदस्यों और राज्य संघों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में अपने पद को स्वीकार किया। गांगुली और अन्य चार पदाधिकारी अब बोर्ड की उन सभी गतिविधियों को चलाने की जिम्मेदारी लेंगे जो पिछले 33 महीने से सीओए देख रहा था। सीओए के वर्तमान सदस्यों में विनोद राय, डायना इडुल्जी और लेफ्टिनेंट जनरल (retd) रवि थोज शामिल हैं।
इस अवसर पर इडुल्जी ने बैठक शुरू होने से पहले कहा, "मुझे बहुत खुशी है कि एक पूर्व क्रिकेटर अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाल रहा है। मुझे यकीन है कि वह बीसीसीआई को और ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।"
इस मौके पर बीसीसीआई ने आधिकारिक तौर पर जानकारी देते हुए गांगुली के अध्यक्ष बनने की घोषणा की-
It's official - @SGanguly99 formally elected as the President of BCCI pic.twitter.com/Ln1VkCTyIW
— BCCI (@BCCI) October 23, 2019
बता दें कि गांगुली सर्वसम्मति से बीसीसीआई के अध्यक्ष पद के लिए नामांकित हुए हैं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह बीसीसीआई के नए सचिव होंगे। जबकि उत्तराखंड के माहिम वर्मा नए उपाध्यक्ष हैं। BCCI के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के छोटे भाई अरुण धूमल कोषाध्यक्ष हैं, जबकि केरल के जयेश जॉर्ज संयुक्त सचिव हैं।
BCCI के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के छोटे भाई अरुण धूमल कोषाध्यक्ष होंगे, जबकि केरल के जयेश जॉर्ज संयुक्त सचिव होंगे।
इस अवसर पर राय ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश से खुश थे। उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने जो कुछ भी किया है (आदेश), मैं उससे बहुत खुश हूं। हमने निर्देश मांगे थे क्योंकि हम इस्तीफा नहीं दे सकते थे। चूंकि सर्वोच्च न्यायालय ने हमें नियुक्त किया था, इसलिए हमें अदालत से अपने कर्तव्य से मुक्त होना पड़ा। "हर फैसला कोर्ट का अनिवार्य था। हमने संविधान नहीं बदला है। हमें जो भी दिया गया था, हमने उस में काम किया है। "