नई दिल्लीः सौरव गांगुली की भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण जगह है। वह भारतीय क्रिकेट के ऑल टाइम महानतम हस्तियों में से एक हैं। इसके अलावा वे खिलाड़ी रहे हैं जिनको काफी पसंद किया गया साथ ही काफी नापसंद भी किया गया। प्यार से लोग उनको दादा बुलाते हैं और हम उनको उनके बाएं हाथ के कलात्मक खेल के अलावा टीम में उनकी कप्तानी और युवा खिलाड़ियों को तराशने की लीडरशिप स्किल के कारण ज्यादा जानते हैं।
वर्तमान में बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली अपने जीवन में अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव से मुखातिब हुए हैं और उनके करियर में ऐसा भी दौर आया है जिसको उन्होंने बहुत ही कठिन माना है। पूर्व भारतीय कप्तान ने एक वर्चुअल प्रमोशनल इवेंट के दौरान बात करते हुए अपने करियर का सबसे खराब दौर बताया है। गांगुली का कहना है कि यह 2005 का समय था जब उनसे कप्तानी छीन ली गई। वे आगे कहते हैं कि जीवन की कोई भी गारंटी नहीं है और आपको तमाम तरह के दबाव से लड़ना होता है।
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गांगुली ने कहा है कि दबाव कभी भी कम नहीं होता है और इसके तौर तरीके बदलते रहते हैं। सौरव गांगुली उस समय को याद करते हैं जब उन्होंने भारत के लिए पहला टेस्ट मैच खेला था और तब उनके मन में केवल एक ही बात थी कि किस तरह से टीम में खुद को स्थापित करना है और अपने प्रदर्शन से दुनिया में छा जाना है। लेकिन जब भारतीय टीम का नियमित हिस्सा बन गए तो दबाव अलग किस्म का था। तब इस बात का दबाव अधिक महसूस होता था कि किस तरीके से टीम में प्रदर्शन करके खुद को बनाए रखना है और भारत के लिए अधिक से अधिक मैच खेलते रहना जारी रखना है।
बीसीसीआई के अध्यक्ष के तौर पर सौरव गांगुली ने क्रिकेट में बायो बबल के ट्रेंड पर भी बात की है। सौरव गांगुली का कहना है कि भारतीय खिलाड़ी विदेशी खिलाड़ियों की तुलना में मानसिक मुद्दों से निपटने के लिए अधिक सक्षम होते हैं। यहां गांगुली कहते हैं कि इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया या फिर कैरेबियन देशों के खिलाड़ी मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर थोड़ा ज्यादा जल्दी हार मान जाते हैं।
गांगुली का यह बयान इस रोशनी में आया है कि जब से कोरोना काल में इंटरनेशनल क्रिकेट चालू हुआ है तब से बायो बबल में खिलाड़ी रहने पर मजबूर हो रहे हैं। उनका जीवन होटल और स्टेडियम में ही फंस कर रह गया है क्योंकि बाहर की दुनिया के किसी भी इंसान से मिलने की इजाजत नहीं होती है। ऐसे में इस तरह की परिस्थितियों में रहना काफी प्रेरणा की मांग रखता है।
कई विदेशी खिलाड़ी ऐसी परिस्थितियों में जल्द हार जाते हैं। हमने देखा है कि जोश हेजलवुड ने हाल ही में बबल में रहने की शिकायत करते हुए आईपीएल से अपने हाथ खींच लिए थे और उन्होंने कहा था कि इसके बजाए वे अपने परिवार के साथ समय बिताना पसंद करेंगे।