फुटबॉल थी जिंदगी लेकिन पिता के चलते खेला क्रिकेट
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने बताया कि बचपन से ही वह फुटबॉल के बड़े दीवाने थे और उसे गंभीरता से ले रहे थे लेकिन जब उनके पिता ने उन्हें शरारतों से दूर करने के लिये क्रिकेट की कोचिंग कराने का फैसला किया तो उसके बाद से वह वापस फुटबॉल की ओर नहीं देख सके।
गांगुली ने कहा, 'फुटबॉल मेरी जिंदगी थी। मैं 9वीं कक्षा तक इसमें बहुत अच्छा था। एक बार गर्मी की छुट्टी के दौरान, मेरे पिता (दिवंगत चंडी गांगुली, जो बंगाल क्रिकेट संघ में थे) ने मुझसे कहा कि तुम घर जाकर कुछ नहीं करोगे और मुझे एक क्रिकेट अकैडमी में डाल दिया।'
कोच ने फुटबॉल छोड़ने के लिये डाला दबाव
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने पिछले साल अक्टूबर 2019 में बीसीसीआई के अध्यक्ष पद की कमान संभाली थी। लाइव सेशन के दौरान गांगुली ने बताया कि अकैडमी ज्वाइन करने के बाद भी उन्होंने फुटबॉल खेलना जारी रखा था लेकिन क्रिकेट कोच के चलते इसे पूरी तरह से बंद करना पड़ा।
उन्होंने कहा,'माता-पिता और परिवार काफी अनुशासनप्रिय थे, ऐसे में मेरे लिए यह उनसे दूर रहने का अच्छा मौका था। मुझे नहीं पता कि मेरे कोच ने मुझमें क्या देखा, उन्होंने मेरे पिता से कहा कि वह मुझे फुटबॉल से दूर करे। इसलिए मैं क्रिकेट में उतर गया।'
सौरव गांगुली ने बताया करियर का बेस्ट लम्हा
अपने फैन्स के बीच 'दादा' के नाम से मशहूर सौरव गांगुली का करियर काफी शानदार रहा है। उन्होंने अपने पहले ही अंतर्राष्ट्रीय मैच में डेब्यू के दौरान शतक लगाया था। इस बारे में बात करते हुए दादा ने बताया कि यह उनके करियर का सबसे बेहतरीन लम्हा था।
उन्होंने कहा, ‘मैंने दलीप ट्रॉफी के पदार्पण मैच में शतक लगाया, बंगाल के लिए रणजी फाइनल में पदार्पण किया लेकिन टेस्ट डेब्यू में लॉर्ड्स में शतकीय पारी खेलना किसी सपने की तरह था।'