नेपोटिज्म के समर्थन में एस श्रीसंत
हेलो ऐप के साथ बात करते हुए एस श्रीसंत ने कहा कि सुशांत सिंह राजपूत को आत्महत्या जैसा दुखद कदम नहीं उठाना चाहिये था, उन्होंने यह गलत किया।
उन्होंने कहा, 'सुशांत को आत्महत्या नहीं करना चाहिए थी। आपको कभी हार नहीं माननी चाहिए, अगर आपको कोई सपोर्ट ना मिले तो आपके मां-बाप हैं, परिवार है। वो भी नहीं है तो दोस्त हैं, फैंस हैं। मुझे नहीं लगता कि नेपोटिज्म सुशांत के लिए कोई मुद्दा था। कोई बच्चा अगर बड़े स्टार के घर पैदा हो रहा है तो ये उसकी गलती नहीं है।'
टैलेंट को कोई भी नहीं रोक सकता
क्रिकेट में नेपोटिज्म को लेकर जब सवाल किया गया तो एस श्रीसंत ने कहा कि जाहिर है यह क्रिकेट में भी होता है लेकिन सिर्फ घरेलू क्रिकेट के स्तर पर, हालांकि इसके बावजूद भी मेहनत करने वाले खिलाड़ियों को कोई रोक नहीं सकता।
उन्होंने कहा, 'कोई भी खिलाड़ी जो मेहनत करता है उसे कोई नहीं रोक सकता। जो खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नहीं खेल सके, उनसे मैं पूछना चाहता हूं कि क्या उन्होंने ढंग से मेहनत की थी। क्या उन्होंने प्रैक्टिस के अलावा जिम और रिकवरी, डाइट पर अपना ध्यान लगाया।'
कामयाबी के लिये हिम्मत छोड़ने के बजाय साथ लेकर चलने की जरूरत
श्रीसंत ने इस सेशन के दौरान एमएस धोनी का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने भी अपने जीवन में काफी दुखों का सामना किया, लेकिन टैलेंट के सहारे न सिर्फ उन्होंने देश के लिये खेलने का गौरव हासिल किया बल्कि भारत के सबसे महान कप्तान बनकर दिखाया।
श्रीसंत ने कहा, 'धोनी को देखिए वो स्कूल में भी कप्तान नहीं थे लेकिन वो टीम इंडिया के कप्तान बने और वर्ल्ड कप भी जीता, उनकी जिंदगी में बहुत दुख रहे हैं। यहां तक कि जब वो टीम इंडिया में आ गए तो भी उन्हें खुलकर खेलने का लाइसेंस नहीं मिला था। लेकिन धोनी को मेहनत का फल मिला, उन्होंने हार नहीं मानी। किसी पर या खुद पर आरोप लगाने की जरूरत नहीं है। लोग बिना सपोर्ट के भी आगे आ सकते हैं। अगर 5 विकेट लेकर सेलेक्शन नहीं होता तो 7 विकेट लेने की कोशिश करो, कामयाबी पाने तक हिम्मत नहीं छोड़नी चाहिए।'